
रायपुर: छत्तीसगढ़ की जनता को भाजपा सरकार ने बिजली बिल में राहत देने का वादा करके अब गहरी निराशा दी है। चुनाव के समय जो वादे किए गए थे, वो अब जमीनी हकीकत में जनविरोधी निर्णयों में बदलते दिख रहे हैं। पहले की योजना में:राज्य सरकार द्वारा 400 यूनिट तक बिजली उपयोग पर उपभोक्ताओं को सिर्फ 200 यूनिट का बिल भरना पड़ता था। यह योजना मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों के लिए बड़ी राहत थी। अब भाजपा सरकार का बदला हुआ फॉर्मूला:सिर्फ पहले 100 यूनिट तक आधा बिल,बाकी 350 यूनिट पर पूरा बिजली बिल वसूला जाएगा।यह न केवल एक जनविरोधी कदम है, बल्कि एक स्पष्ट विश्वासघात है उन लाखों उपभोक्ताओं के साथ जिन्होंने बिजली बिल में राहत की उम्मीद से भाजपा को सत्ता सौंपी थी।
इस फैसले से: मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।घरेलू बजट बिगड़ेगा।किसानों और छोटे व्यवसायियों को भी नुकसान झेलना होगा। जनता अब जान चुकी है कि “बिजली बिल आधा” सिर्फ़ एक चुनावी जुमला था।भाजपा की कथनी और करनी में अंतर अब उजागर हो चुका है। मैं भावेश बघेल स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ किजनता से झूठे वादे कर सत्ता में आना और बाद में उस भरोसे को तोड़ देना, लोकतंत्र के साथ धोखा है।अब वक्त आ गया है कि जनता अपनी आवाज़ बुलंद करे, सवाल पूछे, और इस आर्थिक बोझ के खिलाफ एकजुट होकर खड़ी हो। बिजली की कीमत नहीं, भरोसे की कीमत चुकाई जा रही है।छत्तीसगढ़ की जनता सच समझ चुकी है – अब जवाब भी देगी।






