Home Breaking पंचकन्या 5 पवित्र कन्याओं का रहस्य….जानिए पूरी डिटेल

पंचकन्या 5 पवित्र कन्याओं का रहस्य….जानिए पूरी डिटेल

105
0

न्यूज डेस्क छत्तीसगढ़: पंचकन्या महारत्ने महापातक नाशनम् ,पंचकन्या, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लिखित है, एक प्रेरक उदाहरण हैं और उन्हें समाज में महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। पंचकन्या के नाम अहिल्या, द्रौपदी, कुन्ती, तारा और मंदोदरी हैं। ये पाँच महिलाएं धर्म, साहस, संगीत, ज्ञान और सम्मान का प्रतीक हैं। इनकी कथा का मार्गदर्शन लोकप्रिय रामायण, महाभारत और पुराणों में किया गया है। इन पंचकन्याओं की कथा जीवन में नारी के अद्वितीय स्वरूप और शक्ति को प्रस्तुत करती है।

1. देवी अहिल्या :- देवी अहिल्या की कथा का वर्णन वाल्मीकि रामायण के बालकांड में मिलता है। अहिल्या अत्यंत ही सुंदर, सुशील और पतिव्रता नारी थीं। उनका विवाह ऋषि गौतम से हुआ था। दोनों ही वन में रहकर तपस्या और ध्यान करते थे। शास्त्रों के अनुसार शचिपति इन्द्र ने गौतम की पत्नी अहिल्या के साथ उस वक्त छल से सहवास किया था, जब गौतम ऋषि प्रात: काल स्नान करने के लिए आश्रम से बाहर गए थे।लेकिन जब गौतम मुनि को अनुभव हुआ कि अभी रात्रि शेष है और सुबह होने में समय है, तब वे वापस आश्रम की तरफ लौट चले। मुनि जब आश्रम के पास पहुंचे तब इन्द्र उनके आश्रम से बाहर निकल रहा थे। इन्होंने इन्द्र को पहचान लिया। इन्द्र द्वारा किए गए इस कुकृत्य को जानकर मुनि क्रोधित हो उठे और इन्द्र तथा देवी अहिल्या को शाप दे दिया। देवी अहिल्या द्वारा बार-बार क्षमा-याचना करने और यह कहने पर कि ‘इसमें मेरा कोई दोष नहीं है’, पर गौतम मुनि ने कहा कि तुम शिला बनकर यहां निवास करोगी। त्रेतायुग में जब भगवान विष्णु राम के रूप में अवतार लेंगे, तब उनके चरण रज से तुम्हारा उद्धार होगा।

2. माता द्रौपदी :-कहते हैं कि द्रौपदी का जन्म यज्ञ से हुआ था इसीलिए उसे याज्ञनी कहा जाता था। द्रौपदी को पंचकन्याओं में शामिल किया गया है। द्रोपदी अत्यंत धीरजवान, पवित्र और महान महिला थी। महाभारत काल में यह 5 पांडवों की पत्नी थी द्रौपदी के चीर हरण प्रकरण में श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई।

3. देवी तारा :-तारा एक अप्सरा थी जो समुद्र मंथन के दौरान निकली थी। बाली और सुषेण दोनों ही इसे अपनी पत्नी बनाना चाहते थे। उस वक्त निर्णय हुआ कि जो तारा के वामांग में खड़ा है वह उसका पति और जो दाहिने हाथ की ओर खड़ा है वह उसका पिता होगा। इस तरह बाली का विवाह तारा से हो गया।बाली के वध के बाद उसकी पत्नी तारा को बहुत दुख हुआ। तारा एक अप्सरा थी। बाली को को छल से मारा गया। यह जानकर उनकी पत्नी तारा ने श्रीराम को कोसा और उन्हें एक श्राप दिया। श्राप के अनुसार भगवान राम अपनी पत्नी सीता को पाने के बाद जल्द ही खो देंगे। उसने यह भी कहा कि अगले जन्म में उनकी मृत्यु उसी के पति (बाली) द्वारा हो जाएगी। अगले जन्म में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया था और उनके इस अवतार का अंत एक शिकारी भील जरा (जो कि बाली का ही दूसरा जन्म था) द्वारा किया गया था।

4. माता कुंती :-यदुवंशी राजा शूरसेन की पृथा नामक कन्या और वसुदेव नामक एक पुत्र था। पृथा नामक कन्या को राजा शूरसेन ने अपनी बुआ के संतानहीन लड़के कुंतीभोज को गोद दे दिया। कुंतीभोज ने इस कन्या का नाम कुंती रखा। इस तरह पृथा अर्थात कुंती अपने असली माता पिता से दूर रही। जैसे दशरथ ने अपनी पुत्री शांता को अंगदेश के राजा रोमपद को गोद दे किया था।कुंती अपने महल में आए महात्माओं की सेवा करती थी। एक बार वहां ऋषि दुर्वासा भी पधारे। कुंती की सेवा से प्रसन्न होकर दुर्वासा ने कहा, ‘पुत्री! मैं तुम्हारी सेवा से अत्यंत प्रसन्न हुआ हूं अतः तुझे एक ऐसा मंत्र देता हूं जिसके प्रयोग से तू जिस देवता का स्मरण करेगी वह तत्काल तेरे समक्ष प्रकट होकर तेरी मनोकामना पूर्ण करेगा।’ इस तरह कुंती को एक अद्भुत मंत्र मिल गया। कुंती का विवाह हस्तिनापुर के राजा पांडु से हुआ था। कर्ण सहित कुंती के युधिष्ठिर, अर्जुन और भीम नामक तीन और पुत्र थे। नकुल और सहदेव पांडु की दूसरी पत्नी माद्री के पुत्र थे।

5. माता मंदोदरी :- पंच कन्याओं में से एक मंदोदरी को चिर कुमारी के नाम से भी जाना जाता है। मंदोदरी राक्षसराज मयासुर की पुत्री थीं। रावण की पत्नी मंदोदरी की मां हेमा एक अप्सरा थी। अप्सरा की पुत्री होने की वजह से मंदोदरी बेहद खूबसूरत थी, साथ ही वह आधी दानव भी थी। भगवान शिव के वरदान के कारण ही मंदोदरी का विवाह रावण से हुआ था। मंदोदरी ने भगवान शंकर से वरदान मांगा था कि उनका पति धरती पर सबसे विद्वान ओर शक्तिशाली हो। मंदोदरी से रावण को जो पुत्र मिले उनके नाम हैं- मेघनाद, महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष भीकम वीर।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here