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सार्वजनिक रूप से झूठी खबर प्रकाशित करने वाले पर, नायब तहसीलदार ने ठोंका 50 लाख रुपए का मानहानि दावा

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तिल्दा-नेवरा: तिल्दा में पदस्थ नायब तहसीलदार विपिन बिहारी पटेल ने गलत खबर प्रकाशन करने पर पत्रकार सुखबीर सिंघहोत्र (सीजी24.न्यूज) और आशा देवी उर्फ उमा देवी पति असवंत दास साहू उर्फ़ महंत चंद्रशेखर दास को मानहानि का नोटिस भेजा है। कहा गया है कि सार्वजनिक रूप से उक्त झूठी खबर का खंडन करके लिखित रूप से माफी मांग लें अन्यथा थाना तिल्दा नेवरा में भी शिकायत की जाएगी।दरअसल 27 और 29 मई को दो अलग-अलग समाचारों के माध्यम से नायब तहसीलदार विपिन बिहारी पटेल के खिलाफ दो खबरों का प्रकाशन किया गया था, जो पूर्णतः असत्य, भ्रामक और तथ्यहीन कही गई है। खबरों में जो आरोप लगे हैं उसे बेबुनियाद बताया गया है। बताया गया है कि प्रकरण सर्वप्रथम तहसीलदार तिल्दा को प्राप्त हुआ था, जिनके द्वारा नियमानुसार मार्किंग किए जाने के पश्चात 23 मई को नायब तहसीलदार विपिन बिहारी पटेल के न्यायालय में वाचक को प्राप्त हुआ। उस दिन फर्स्ट हाफ विपिन बिहारी पटेल न्यायालयीन कार्य में व्यस्त थे और दोपहर के बाद वे स्वास्थ्यगत कारण से अवकाश पर थे और अपने निवास पर ही विश्राम कर रहे थे। प्रकरण प्राप्त होने के पश्चात शीघ्र नायब तहसीलदार विपिन बिहारी पटेल ने भुईयां आईडी के माध्यम से उसका ऑनलाइन पंजीयन किया। तत्पश्चात प्रकरण को नियमानुसार ई कोर्ट पोर्टल में दर्ज किया गया। वर्तमान राजस्व परिपत्रों के अनुसार समस्त प्रकरणों को ऑनलाइन दर्ज करना अनिवार्य है। ई कोर्ट प्रणाली पूर्णतः कंप्यूटरीकृत है जिसमें पेशी तिथि स्वतंत्र आधारित होती है। आमतौर पर 20 से 25 दिन के बाद होती है। इसमें ना तो नायब तहसीलदार विपिन बिहारी पटेल का कोई हस्तक्षेप है और ना ही इससे पूर्व पेशी लेने की कोई वैधानिक व्यवस्था है।प्रकरण को ऑनलाइन दर्ज करने के पश्चात विपिन बिहारी द्वारा पटवारी को प्रतिवेदन के लिए विधिवत ज्ञापन प्रेषित किया गया, जो कि आगामी पेशी दिनांक को संबंधित पटवारी द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाएगा। प्रचलित प्रक्रिया के अनुसार आवेदक को पटवारी के समक्ष उपस्थित होकर शपथ प्रस्तुत करना आवश्यक होता है। इसके पश्चात ही पटवारी पंचनामा व प्रतिवेदन तैयार करता है।मामले में आवेदिका के द्वारा इस प्रक्रिया की उपेक्षा करते हुए पूर्व निर्धारित पेशी तिथि से पहले ही दबाव बनाना प्रारंभ कर दिया गया। आदेश प्रभावित करने के लिए अनुचित हड़बड़ी दिखाई गई। जब गैर पक्षकार ने उन्हें राजस्व प्रक्रिया से अवगत कराया तब आवेदिका द्वारा स्पष्ट धमकी भरे शब्दों में कहा गया था कि “अब मैं बताती हूं तुमको” इससे यह प्रमाणित होता है कि आवेदिका के द्वारा पूर्णतः दुर्भाग्यपूर्ण उद्देश्य से नायब तहसीलदार के विरुद्ध झूठा या मनगढ़ंत आरोप लगाए गए। नायब तहसीलदार ने ना ही कोई धनराशि की मांग की ना ही उनके विरुद्ध लगाए गए 16,50,000 की मांग संबंधी का कोई वैधानिक अथवा प्रमाणिक आधार है। इस आधार पर छवि धूमिल होने के कारण मानहानि के लिए हर्जाने की मांग की गई है।

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