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बिना सत्संग के मनुष्य का जीवन अधूरा – राधिका देवी

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हिरमी – रावन: ग्राम हिरमी गायत्री मंदिर के पास में छन्नू लाल फेकर के आवास पर श्रीमद् भागवत कथा आयोजित कथा का शुभारंभ करते हुए कथावाचक राधिका देवी पांडेय ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा, ऐसी कथा है, जो जीवन के उद्देश्य एवं दिशा को दर्शाती है। इसलिए जहां भी भागवत कथा होती है, इसे सुनने मात्र से वहां का संपूर्ण क्षेत्र दुष्ट प्रवृत्तियों से खत्म होकर सकारात्मक उर्जा से सशक्त हो जाता है।उन्होंने कहा कि कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है, जब इसे हम अपने जीवन और व्यवहार में धारण करें। श्रीमद्भागवत कथा के श्रावण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है मानव जीवन में सत्संग का बड़ा महत्व है। सत्संग के बिना जीवन अधूरा ही रह जाता है। उन्होंने कहा कि भागवत धर्म वह सार्वभौम धर्म है, जिसमें जाति, संप्रदाय, जाती भेद रहित देखा गया है. जब-जब धर्म की हानि होती है तो धर्म की रक्षा के लिए भगवान प्रकट होते हैं। अपनी लीला से सभी बाधाओं को दूर कर परमानंद प्रदान करते हैं।परमानंद की प्राप्ति के बाद मानव जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।कहा कि व्यक्ति को जीवन में उन्नति के लिए आशावादी होना चाहिए। आशा की किरण को पूरा करने के लिए ईश्वरवादी होना जरूरी है। मानवता की राह पर चलकर व्यक्ति जीवन में अपेक्षित सफलता को आसानी से प्राप्त कर सकता है।कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जीवन चरित्र ही धर्म है।भगवान राम अपने गुरु, पिता, भाई संत, अनुचर, सहचर से कैसे व्यवहार करते हैं। धर्म को समझना हो तो उनके आदर्श को अपना लें तो धर्म का पालन हो जाएगा। क्योंकि धर्म के सारे लक्षण भगवान के चरित्र में समाहित हैं।उन्होंने कहा कि भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही मानव जीवन धन्य हो जाता है तथा मनुष्य जीवन के सारे दुखों का नाश हो जाता है। उसे हर स्थिति में एक समान रहने की सीख मिलती है।उन्होंने कहा कि कृष्ण नाम तो कण-कण में व्याप्त है। बिना सत्संग के मानव का जीवन अधूरा होता है। इस मौके पर परिक्षित छन्नू लाल फेकर सरस्वती फेकर समेत हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहें।

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