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हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना, गणेश विसर्जन के दौरान बजता रहा कानफोड़ू डीजे

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हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना, गणेश विसर्जन के दौरान बजता रहा कानफोड़ू डीजे

न्यूज डेस्क कोंडागांव: में गणेश विसर्जन के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग 30 के पास राम मंदिर तालाब के घाट पर कानफोड़ू डीजे बजता रहा। इस शोरगुल के बावजूद पुलिस प्रशासन कार्रवाई करने में नाकाम रहा। कोंडागांव जिला मुख्यालय में गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान पुलिस प्रशासन उपस्थित था, लेकिन डीजे के शोर पर नियंत्रण लगाने में पूरी तरह विफल रहा।कोंडागांव में थाना प्रभारी और पुलिस अधीक्षक दोनों छुट्टी पर थे, और जिले की जिम्मेदारी एसडीओपी रूपेश कुमार के कंधों पर थी। हालांकि उन्होंने विसर्जन के दौरान सुरक्षा और डीजे नियंत्रण के लिए बैठक भी बुलाई थी, लेकिन इसके बावजूद डीजे का शोर जारी रहा। यह घटना हाई कोर्ट के आदेश की सीधी अवहेलना को दर्शाती है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में बुधवार 11 सितम्बर को कानफोड़ू डीजे पर रोक लगाने के संबंध में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की बेंच ने राज्य शासन से ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए समुचित कदम उठाने की जानकारी मांगी। राज्य के महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने बताया कि पुलिस अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई है और जिले के एसपी को इस संबंध में जिम्मेदारी दी गई है। महाधिवक्ता ने कोर्ट से विस्तारपूर्वक जानकारी पेश करने के लिए समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

जनहित याचिका रायपुर की नागरिक संघर्ष समिति और अन्य नागरिकों द्वारा दायर की गई थी, जिसमें त्यौहारों और शादी समारोहों के दौरान तेज आवाज में बजाए जाने वाले डीजे पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इस याचिका के बाद, कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए ध्वनि प्रदूषण पर सख्त निर्देश दिए थे। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि पूरे प्रदेश में डीजे पर लगाम कसने के लिए क्या कार्रवाई की जाएगी।वि ओ 03 -कोर्ट ने इस मुद्दे पर पहले भी राज्य सरकार को फटकार लगाई थी कि डीजे पर लगाए गए प्रतिबंधों का पालन नहीं हो रहा है। कोर्ट ने सभी जिला कलेक्टरों को आदेश दिया था कि ध्वनि प्रदूषण रोकने के नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि यदि नियमों का पालन नहीं किया गया तो यह माना जाएगा कि जिला कलेक्टर ही इस मामले में लापरवाही बरत रहे हैं।

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