न्यूज डेस्क छत्तीसगढ़: सनातन परंपरा में ईश्वर की पूजा में माला जप की परंपरा है. जिसके तहत एक साधक अपने आराध्य देवी-देवता के मंत्र का जप करने के लिए माला के दानों को घुमाते हुए जप करता है.
हिंदू मान्यता के अनुसार यह माला 108 मनकों या फिर कहें किसी विशेष धातु से बने मनकों की बनी होती है.
शुभता और सौभाग्य को पाने के लिए लोग इस माला को अक्सर अपने गले या फिर अपने कलाई पर धारण करते हैं, लेकिन ऐसा करने से पहले आपको इससे जुड़े सभी धार्मिक एवं ज्योतिष नियम जरूर जान लेना चाहिए, वरना आपको लाभ की जगह नुकसान हो सकता है. आइए तमाम तरह की माला को पहनने का नियम और उसके लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं.
कमलगट्टे की माला:
हिंदू धर्म में कमलगट्टे की माला का प्रयोग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के लिए किया जाता है. इसके अलावा मां बगलामुखी और मां कालका की पूजा में भी कमलगट्टे की माला का प्रयोग किया जाता है.
मोती की माला:
मोती को चंद्रमा का रत्न माना गया है जो कि मन का कारक है. हिंदू मान्यता के अनुसार चंद्र ग्रह की शुभता और सौभाग्य के साथ मन की शांति के लिए मोती की माला धारण की जाती है.
तुलसी की माला:
यदि आप अपने गले या कलाई पर तुलसी की माला को धारण करना चाहते हैं तो आपको इसकी पवित्रता का पूरा ध्यान रखना होगा. भगवान विष्णु की कृपा बरसाने वाली इस माला को धारण करने वाले व्यक्ति को तामसिक चीजों से हमेशा दूरी बनाई रखनी होती है, अन्यथा पुण्य की बजाय पाप लगता है, जिसके चलते उसे तमाम तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती हैं.
स्फटिक की माला:
हिंदू धर्म के अनुसार यदि कोई व्यक्ति स्फटिक की माला को धारण करता है तो उसे शुक्र ग्रह से जुड़ी शुभता प्राप्त होती है. ज्येातिष के अनुसार शुक्र से संबंधित दोष दूर करने के लिए यह माला ही शुभ मानी गई है.
चंदन की माला:
हिंदू मान्यता के अनुसार अलग-अलग चंदन की माला अलग-अलग साधना के लिए प्रयोग में लाई जाती है. जैसे सफेद चंदन और पीले चंदन की माला भगवान विष्णु की पूजा के लिए तो वहीं लाल चंदन की माला देवी पूजा के लिए प्रयोग में लाई जाती है.
रुद्राक्ष की माला:
हिंदू धर्म में रुद्राक्ष की माला को भगवान शिव का महाप्रसाद माना गया है. यही कारण है कि हर शिव साधक इसे धारण करना अपना सौभाग्य मानता है, लेकिन इसे भी पहनने के लिए पवित्रता का पूरा ख्याल रखना होता है. हिंदी मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष की माला को शौच और स्त्री प्रसंग आदि के समय उतार कर पवित्र जगह पर रख देना चाहिए.
वैजयंंती की माला:
हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण के साधक अक्सर वैजयंंती की माला धारण करते हैं क्योंकि यह माला मुरली मनोहर को बहुत ज्यादा प्रिय थी. ज्योतिष के अनुसार वैजयंती की माला को पहनने पर शनि दोष नहीं लगता है.
माला से जुड़े धार्मिक नियम
ईश्वर की पूजा में मंत्र जप के लिए हमेशा देवी या देवता के अनुसार माला का चयन करना चाहिए. जैसे भगवान विष्णु के लिए पीले चंदन या तुलसी की तो वहीं भगवान शिव और देवी पूजा के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें.
ईश्वर की पूजा और गले में पहनने वाली माला दोनों अलग-अलग होनी चाहिए. कभी भी गले में पहनी हुई माला से किसी भी देवी-देवता के मंत्र का जप नहीं करना चाहिए.