न्यूज डेस्क छत्तीसगढ़: जानिए 12 ज्योतिर्लिंग और उनकी विशेषता :हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है। ये12 ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के पवित्रतम स्थलों में से एक हैं।
यहाँ प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है:1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात):- स्थान: सौराष्ट्र, गुजरात- महत्व: इसे पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यहाँ भगवान शिव को चंद्रदेव ने तपस्या करके प्रसन्न किया था। शिव पुराण के अनुसार जब चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था तब इसी स्थान पर शिव जी की पूजा और तप करके चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति पाई थी. ऐसी मान्यता है कि स्वयं चंद्र देव ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी.यहां पर देवताओं द्वारा बनवाया गया एक पवित्र कुंड भी है, जिसे सोमकुण्ड या पापनाशक-तीर्थ कहते हैं।विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है, हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है।
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश):- स्थान: श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश- महत्व: यहाँ भगवान शिव और माता पार्वती निवास करते हैं। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है।आंध्रप्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है, इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। अनेक धार्मिक शास्त्र इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते है, कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जहां पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश):- स्थान: उज्जैन, मध्य प्रदेश- महत्व: यह ज्योतिर्लिंग महाकाल के नाम से प्रसिद्ध है, जो काल के अधिपति हैं और मृत्यु के देवता माने जाते हैं।ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है जहां रोजाना होने वाली भस्म आरती विश्व भर में प्रसिद्ध है.यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है।महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है, उज्जैनवासी मानते हैं कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश):- स्थान: मंधाता द्वीप, नर्मदा नदी, मध्य प्रदेश- महत्व: यह ओंकार पर्वत पर स्थित है, जहां शिवजी ओंकार रूप में प्रतिष्ठित हैं।मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है, जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है, ऊं शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है। इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ऊं के साथ ही किया जाता है, यह ज्योतिर्लिंग ॐकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड):- स्थान: केदारनाथ, उत्तराखंड- महत्व: यह हिमालय में स्थित है और चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण स्थल है।केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में अलखनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर केदार नाम की चोटी पर स्थित है. यहां से पूर्वी दिशा में श्री बद्री विशाल का बद्रीनाथधाम मंदिर है. मान्यता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी और निष्फल है.केदारनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में स्थित है, बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है, केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है। यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व शिव जी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र):- स्थान: पुणे, महाराष्ट्र- महत्व: यह सह्याद्री पर्वत श्रेणी में स्थित है और इसे भीमा नदी के स्रोत के पास माना जाता है।महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा से इस मंदिर का दर्शन प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते है।
7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश):- स्थान: वाराणसी, उत्तर प्रदेश- महत्व: यह ज्योतिर्लिंग वाराणसी में स्थित है, जो भगवान शिव की नगरी मानी जाती है।उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर जिसे धर्म नगरी काशी के नाम से जाना जाता है वहां पर गंगा नदी के तट पर स्थित है बाबा विश्वनाथ का मंदिर जिसे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि कैलाश छोड़कर भगवान शिव ने यहीं अपना स्थाई निवास बनाया था.काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है, इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है। इस स्थान की मान्यता है कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा, इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुन: रख देंगे।
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र):- स्थान: नासिक, महाराष्ट्र- महत्व: यह गोदावरी नदी के तट पर स्थित है और यहाँ भगवान शिव त्र्यंबक (तीन नेत्रों वाले) रूप में पूजे जाते हैं।गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है, इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है, भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है, कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा।
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड/महाराष्ट्र):- स्थान: देवघर, झारखंड / परली, महाराष्ट्र- महत्व: इसे रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है, क्योंकि रावण ने यहां भगवान शिव की पूजा की थी।श्री वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है, भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है।
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात):- स्थान: द्वारका, गुजरात- महत्व: यह सागर तट पर स्थित है और नागों के देवता के रूप में भगवान शिव की पूजा होती है।गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है, धर्म शास्त्रों में भगवान शिव नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है, भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शन के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु):- स्थान: रामेश्वरम, तमिलनाडु- महत्व: यह स्थान भगवान राम के द्वारा शिवलिंग स्थापित करने के कारण पवित्र माना जाता है।रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरं नामक स्थान में स्थित है, इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।
12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र):- स्थान: औरंगाबाद, महाराष्ट्र- महत्व: यह एलोरा गुफाओं के पास स्थित है और इसे ‘धुश्मेश्वर’ के नाम से भी जाना जाता है।घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है, इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैlये 12 ज्योतिर्लिंग हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से हैं और भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय हैं। हर ज्योतिर्लिंग का अपना ऐतिहासिक, पौराणिक और धार्मिक महत्व है, और ये स्थल भक्तों को भगवान शिव के दिव्य रूप का अनुभव कराते हैं।