Home Breaking आठ दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर में बच्चों को दी गई शिक्षा

आठ दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर में बच्चों को दी गई शिक्षा

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हिरमी – रावन : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय साधना भवन हिरमी में 02 मई से बाल व्यक्तित्व विकास शिविर आओ चले दिव्यता की ओर समर कैंप का आयोजन किया गया। ब्रह्माकुमारी बहनों के साथ ब्रह्माकुमारी प्रणिती बहन ,दिलेश्वर मढ़रिया , रंजनी वैष्णव सहित अन्य उपस्थित रहे। समर कैंप प्रत्येक दिवस सुबह 8 बजे से 10 बजे तक नियमित चलता रहा। जिसमें बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार की एक्टिविटी, म्यूजिकल, एक्सरसाइज, खेल व मूल्यों पर आधारित कक्षाएं कराई गई।

सभी बच्चों ने बहुत आनंद का अनुभव किया।बच्चों के मनोबल उत्साहवर्धन के लिए समय-समय पर अतिथियों का आगमन होता रहा सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक,बौद्धिक स्तर और खेलकूद गतिविधियां बच्चों के सर्वांगीण विकास में शारीरिक एवं मानसिक रूप से सक्षम बनाती है।इन बातों को फोकस करते हुए संस्कार अभियान के तहत विभिन्ना बालक बालिकाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया गया ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा मार्गदर्शन उन बिंदुओं पर दिया गया। जिसमें विकास को गति देते हुए खूबियों में निखार लाया जा सके। बच्चों की देखभाल के साथ आयु के अनुरूप देखरेख करते हुए उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिभा विकसित करने और इस कार्य में पालक को जोड़कर उनका मार्गदर्शन करने के गुर सिखाए गए।ताकि देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चे कल के लिए तैयार करने में कोई कमी ना रहे।कार्यक्रम का समापन 09 मई को किया गया।”कार्यक्रम का उद्देश्य– वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका नमिता दीदी ने कहा कि शिविर का उद्देश्य बच्चों के व्यक्तित्व का विकास करना है। बच्चों को उनके अंदर छिपी हुई प्रतिभा से अवगत कराना है। साथ ही शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए  योग की विशेष जानकारी देना है।

कार्यक्रम की झलकियाँ– कार्यक्रम में बच्चों के लिए खेलकूद सहित अनेक  सांस्कृतिक एवं बौद्धिक प्रतियोगिताओं का भी आयोजन हुआ। जिसमें भाषण, संगीत, नृत्य एवं नाटक तथा खेलकूद में लेमन रेस, बलून रेस, बकेट बॉल एवं व्हील बैरो रेस प्रमुख रही।”दिलेश्वर मढ़रिया ने बच्चों को सीख दी विद्यार्थी के पाँच लक्षण हैं- कौए की तरह चेष्टा (सब ओर दृष्टि, त्वरित निरीक्षण क्षमता), बगुले की तरह ध्यान, कुत्ते की तरह नींद (अल्प व्यवधान पर नींद छोड़कर उठ जाय), अल्पहारी (कम भोजन करने वाला), गृहत्यागी (अपने घर और माता-पिता का अधिक मोह न रखने वाला)। सुखार्थी वा त्यजेत विद्या विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम्। शिविर में बच्चों से विभिन्न प्रतियोगिता आयोजित किया गया जिसमें अव्वल आने वाले बच्चों को पुरुस्कृत कर सम्मानित किया गया।

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