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प्रधानमंत्री बढ़ती महंगाई,बेरोजगारी,कर्ज पर चर्चा क्यों नहीं करते?पीएम परीक्षा पे चर्चा किये लेकिन परीक्षार्थियों की मुलभुत समस्याओं पर चर्चा क्यों नहीं की ?

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रायपुर : प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री जी परीक्षा पे चर्चा की तरह ही बढ़ती महंगाई,बेरोजगारी, आर्थिक असमानता, शिक्षण संस्थानों में अनुदान की कटौती, एवं देश के ऊपर 205 लाख करोड़ के कर्ज पर चर्चा क्यों नहीं करते? परीक्षा पे चर्चा तो किये लेकिन परीक्षार्थियों की मुलभुत समस्या पुस्तक कॉपी स्टेशनरी ड्रेस जूता चप्पल पौष्टिक आहारो के दाम की बढ़ती कीमतें इस पर क्यों चर्चा नहीं की.जबकि एक मासूम बच्ची ने प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखकर स्टेशनरी के महंगे दामों को सस्ते करने का अपील किया था की जब वह मम्मी से की स्टेशनरी की मांग करती है तो मम्मी उसे डांटती है क्योंकि स्टेशनरी के दाम महंगे हैं प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री को किसानों नौजवानों माता बहनों व्यापारियों से भी चर्चा करनी चाहिए.किसान खाद के बढ़ते दाम डीजल की महंगाई उपज की सही कीमत नहीं मिलने से परेशान है युवा बेरोजगार है उन्हें सरकारी नौकरी के अवसर नहीं मिल रहा है प्रतियोगी परीक्षा में शैक्षणिक यात्रा के दौरान ट्रेन में युवाओं को मिलने वाली सुविधा को खत्म कर दिया गया है कई नाम चिन शिक्षण संस्थान जिसमें गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए सुविधा अनुदान मिलता था वह सभी सुविधाएं बंद कर दी गई है प्रधानमंत्री जी को देश के ग्रहणियों से भी चर्चा करनी चाहिए रसोई गैस के महंगे दाम खाद्यान्न सामग्री के बढ़ती कीमत और कामकाजी महिलाएं रोजगार छीनने से हताश और परेशान है व्यापारी अनियमित जीएसटी और मल्टीनेशनल कंपनियों के छोटे व्यापार में हस्तक्षेप से हताश और परेशान हैं और वह अपनी बात प्रधानमंत्री तक पहुंचाना चाहते हैं.

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री को परीक्षा पे चर्चा की तरह ही विपक्ष से भी चर्चा करनी चाहिए सदन में जब विपक्ष के लोग आवाज उठाते हैं सवाल पूछते हैं तब सदन को म्यूट कर दिया जाता है विपक्ष को बोलने नहीं दिया गया सवाल का जवाब देने के बजाये डेढ़ सौ से अधिक सांसदों को निलंबित कर दिया जाता है. प्रधानमंत्री को देश के अन्य वर्गों से भी चर्चा करनी चाहिए और उनके मूल समस्याओं का निराकरण करना चाहिए. परीक्षा पे चर्चा तभी सार्थक होगा जब परीक्षार्थियों की समस्याओं का निराकरण होगा।

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