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भारी भरकम जुर्माना और लंबी सजा का प्रावधान वाहन चालकों के प्रति अन्याय है,मोदी की प्राथमिकता में गरीब वाहन चालक नहीं बल्कि निजी बीमा कंपनीयों को लाभ पहुंचाना

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रायपुर : केंद्र की मोदी सरकार के काले कानून के खिलाफ ड्राइवरों द्वारा देश भर में हो रहे हड़ताल का समर्थन करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू ने कहा है कि निजी बीमा कंपनियों को मुनाफा पहुंचने के लिए यह जन विरोधी नीति थोपी गई है। वाहन चालक आर्थिक रूप से इतना सक्षम नहीं होते हैं, की 7 लाख रुपए का जुर्माना पटा सके। गरीब ड्राइवरों पर दोहरी मार केंद्र की मोदी सरकार के फैसले से पड़ने वाली है, एक तरफ भारी भरकम जुर्माना, दूसरी तरफ 10 साल जेल की सजा ऐसे में जब परिवार का कमाने वाला मुखिया एक ड्राइवर 10 साल के लिए जेल चला जाएगा तो उसके परिजनों का क्या होगा? उनका भरण पोषण कैसे होगा? केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा थोपे गए इस काले कानून से देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वाहन चालक वर्ग बुरी तरह से भयभीत है। दुर्घटना जानबूझकर नहीं होते नहीं होते, ऐसे में भारी भरकम जुर्माना और लंबी सजा का प्रावधान आम वाहल चालकों के सामर्थ्य से बाहर हैं, अमानवीय है, अव्यावहारिक है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू ने कहा है कि मोदी सरकार के जन विरोधी नीतियों पर परदेदारी करने भाजपा के नेता कुतर्क कर रहे हैं कि अधिक जुर्माना राशि से दुर्घटनाओं में पीड़ितों को मुआवजा देने में मदद मिलेगी। सवाल यह है कि भारी भरकम बीमा प्रीमियम का क्या औचित्य है? मोदी सरकार की प्राथमिकताएं गरीब ड्राइवर की नहीं बल्कि बीमा कंपनियों को मुनाफा पहुंचाने की है।

भारतीय जनता पार्टी और केंद्र के मोदी सरकार लोकतंत्र को खत्म करने अमादा है। मोदी सरका को जब-जब जन विरोधी कानून पास करना होता है, तब-तब षडयंत्र पूर्वक बिल पेश करने से पहले विपक्ष दल के सांसदों को सदन से बाहर कर दिया जाता है। जिस तरह से कोविड काल में बिना चर्चा, बिना बहस के पूंजीपति मित्रों के मुनाफे के लिए एक-एक दिन में 12-12 श्रमिक विरोधी कानून पास किया, ठीक उसी तरह से विगत दिनों विपक्ष के सांसदों को षड़यंत्र पूर्वक सदन से बाहर करके जन विरोधी काले कानून थोप दिए, उसी में से एक यह प्रावधान देश के गरीब वाहन चालकों के खिलाफ है। केंद्र की मोदी सरकार अहंकार छोड़कर गरीब ड्राइवरों की मांग पर तत्काल संज्ञान ले और नए कानून में संशोधन करें।

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