
रायपुर: कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश निर्वाचन पदाधिकारी से मिलकर 6 बिन्दुओं का ज्ञापन सौंपा। एसआईआर की सीमा बढ़ाने एवं गहन पुनरीक्षण के काम की परेशानियों के निराकरण की मांग रखी।
प्रतिनिधि मंडल में पूर्व मंत्री मोहन मरकाम, ताम्रध्वज साहू, पूर्व अध्यक्ष धनेंद्र साहू, विधायक राघवेन्द्र कुमार सिंह, शैलेश नितिन त्रिवेदी, सफी अहमद, महामंत्री सकलेन कामदार, कन्हैया अग्रवाल, मो. सिद्दिक उपस्थित थे।
ज्ञापन में कहा गया कि
प्रति,
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी
कार्यालय मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी
इंद्रावती खण्ड, पुराना मंत्रालय परिसर
रायपुर (छ.ग.)
विषय-मतादाता सूची विशेष गहन पुनिरीक्षण (SIR) कार्यक्रम की तिथि बढ़ाये जाने बाबत।
महोदय,
भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार 04 नवम्बर से 04 दिसम्बर 2025 के मध्य छत्तीसगढ़ में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनिरीक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उक्त निर्धारित तिथि में प्रदेश के लगभग 2 करोड़ से अधिक मतदाताओं के बीच पहुंचकर गणना पत्रक तैयार कर पाने के लिए समय सीमा की कमी महसूस की जा रही है। चूंकि प्रदेश में वर्ष 2028 में विधानसभा चुनाव निर्धारित है, ऐसे स्थिति में पर्याप्त समय के साथ प्रमाणिक एवं सटिक डाटा उपलब्ध कराया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी निम्नानुसार बिन्दुओं की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराते हुए मतदाता सूची विशेष गहन पुनिरीक्षण तिथि बढ़ाये जाने की मांग करती हैः-
- निर्वाचक नामावलियों के पुनिरीक्षण कार्यक्रम में पारदर्शिता व व्यापक जन भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
- निर्वाचन प्रक्रिया की स्वच्छता व पारदर्शिता बनाए रखने के लिए लोगों को सूचना, शिकायत दर्ज करने और आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने हेतु पर्याप्त समय उपलब्ध होना चाहिए।
- छत्तीसगढ़ का अधिकांश भाग ग्रामीण, आदिवासी एवं वन जंगल क्षेत्रों से घिरा हुआ है। इन इलाकों में संपर्क सुविधाएँ सीमित हैं, और अनेक गाँव दूरस्थ हैं जहाँ संचार या परिवहन की सुविधाएँ पर्याप्त नहीं हैं, ऐसे में लोगों तक निर्वाचन से जुड़ी सूचनाएँ पहुँचने में समय लगता है। साथ ही, इन क्षेत्रों के नागरिकों के पास अपने दस्तावेज़ (जैसे पहचान पत्र, निवास प्रमाण, आयु प्रमाण आदि) व्यवस्थित रूप से रखने या प्राप्त करने में स्वाभाविक कठिनाइयाँ होती हैं। इसलिए उन्हें अपने दस्तावेज़ जुटाने, सत्यापन कराने और नाम सम्मिलन /सुधार के लिए अधिक समय मिलना न्यायसंगत और आवश्यक है।
- हाल ही में बस्तर क्षेत्र में आई बाढ़ के कारण अनेक परिवार विस्थापित हुए हैं, घर / सम्पत्ति को क्षति पहुँची है साथ ही, स्थानीय लोग अब भी पुनर्वास की प्रक्रिया में है. जिनके दस्तावेज़ और पहचान प्रमाण नष्ट या क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। ऐसे समय में संवेदनशील जनसमूह से अपेक्षित सहभागिता मिलना कठिन है। प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास और राहत कार्य पूर्ण होने तक तिथि बढ़ाना अनिवार्य और मानवीय दृष्टि से उचित रहेगा।
- वर्तमान समय में ग्रामीण क्षेत्रों में धान कटाई / मिंजाई का कार्य चल रहा है, जिसमें कृषक एवं ग्रामीण जन व्यस्त होने के कारण उक्त कार्यक्रम में भाग नहीं ले पायेंगे।
- वर्तमान अल्प अवधि के कारण अनेक लोग, विशेषकर ग्रामीण और बाढ़ प्रभावित, अपनी समस्याएँ प्रभावी ढंग से आयोग तक पहुँचाने में असमर्थ रह सकते हैं।






