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मां की बीमारी में मिट गया सब,अब ना छत ना जमीन बेघर हुआ परिवार

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मां की बीमारी में मिट गया सब,अब ना छत ना जमीन बेघर हुआ परिवार

छतरपुर एमपी :छतरपुर जिला के महाराजपुर तहसील से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत गोरारी के राकेश कुशवाहा उम्र 32 बर्ष का परिवार आर्थिक तंगी के कारण परेशान है इस परिवार के पास ना रहने के लिए मकान है और ना ही खेती के लिए जमीन हैं मजदूरी के भरोसे परिवार का भरण पोषण कर रहा है।प्राप्त जानकारी के अनुसार राकेश कुशवाहा की माँ लगभग 13 बर्ष पूर्व गंभीर बीमारी से ग्रसित थी जिसके ईलाज हेतु उसके पिता ने काफी कर्ज ले रखा था लंबे ईलाज के कारण आर्थिक स्थिति इस परिवार की खराब हो गई थी और फिर राकेश की मां की ईलाज के दौरान मृत्यु हो गईं थी अधिक कर्ज होने से पिता गनेशी कुशवाहा ने ग्राम में बने मकान को 12 बर्ष पूर्व बेंच दिया था तभी से ए परिवार आवासहीन हो गया था इसके बाद वह अपने पिता गनेशी और पत्नी हलकीबाई सहित तीनों बच्चों को लेकर ससुराल नोगांव में रहने लगा और मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करने लगा नोगांव में तीन चार बर्ष रहने के बाद वह गांव वापिस आ गया और क्रेसर मशीन गढ़ीमलहरा में काम करने लगा स्वयं का घर ना होने के कारण बह गांव के बाहर बनी गौशाला में रहने लगा था और आज बह ग्राम से कुछ दूरी पर स्थित मकुंदी सेन का कुआं है वहाँ पर उसकी खेती कर उसके कुआं पर बने मकान में पत्नी एवं तीन बच्चों के साथ रहने को मजबूर हैं

यह है राकेश के परिवार की कहानी,बच्चें सुबह का खाना स्कूल में खाते

राकेश कुशवाहा ने जानकारी देते हुए बताया कि बो दो भाई हैं बड़ा राकेश हैं और छोटा भाई मुकेश हैं माँ की बीमारी के चलते उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था दो बर्ष ईलाज कराने के बाद मां की मृत्यु हो गई थी और कर्ज इतना हो गया था कि उनके पिता को रहने का घर तक बेचना पड़ा था और राकेश का परिवार बेघर हो गया था घर ना होने के कारण राकेश ससुराल नोगांव चला गया था और छोटा भाई मुकेश अपने परिवार सहित हैदराबाद मजदूरी करने चला गया था राकेश ने बताया कि सरपंच-सचिव से लेकर बरिष्ठ अधिकारियों को उसने अपने आवास की फरियाद सुनाई लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी और बाद में इस परिवार को 3 बर्ष के लिए गांव छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था राकेश की पत्नी हलकीबाई ने बताया कि शासन से उन्हें आज तक किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिला है शासन से मिलने बाली योजनाए जैसे गरीबी रेखा का राशन कार्ड,राशन पर्ची,आवास एवं लाड़ली बहिना इत्यादी इन सभी योजनाओं से ए परिवार आज भी बंचित हैं

रहने को घर,खाने के लिए खाद्यान्न पर्ची बनवा दो राकेश कुशवाहा एवं उसके परिजनों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से रहने के लिए घर और खाने के लिए खाद्यान्न पर्ची बनवाए जाने की मांग की है ताकि उन्हें गौशाला एवं किसी के कुआ पर बने मकान में ना रहना पड़े राकेश के बच्चे राजवीर 14 बर्ष,राघवेंद्र 12 बर्ष और पुत्री नैंसी 10 बर्ष ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके पास स्वयं का मकान नही है और पिता की मजदूरी से उनका खर्च नहीं चल पा रहा है महीने में उन्हें दो-चार दिन भूखे ही सोना पड़ता है राकेश की पत्नी हलकीबाई ने बताया कि उनका पति राकेश मजदूरी कर घर का खर्च चलाता है क्रेशर मशीन पर जिस दिन काम नहीं मिलता है उस दिन उन्हें भूखा रहना पड़ता है और परिवार में राकेश के पिता भी गुजर गए हैं उनके दाहसंस्कार के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे ग्रामीणों की मदद से पिता का दाहसंस्कार किया था सुबह का खाना बच्चें गांव के स्कूल में पढ़ने जाते हैं तो बही पर खा आते हैं इस तरह ए परिवार अपना भरण पोषण करने को मजबूर हैं।

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