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भाजपा सरकार में नौनिहाल बदहाल स्कूलों में पौष्टिक नाश्ता केवल कागज़ी घोषणा,गर्भवती, शिशुवती माताओं,बच्चों के सुपोषण अभियान दुर्भवना पूर्वक बाधित

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रायपुर: प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार आते ही जन कल्याणकारी योजनाएं दम तोड़ने लगी है। भाजपा की सरकार आने के बाद से छत्तीसगढ़ में बच्चों, गर्भवती महिलाओं और शिशुवती माताओं के लिए पौष्टिक आहार और गुणवत्ता युक्त भोजन की व्यवस्था बाधित हो गई है। पूर्व की कांग्रेस की सरकारों ने केंद्र और राज्य में अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से बच्चों के लिए औषधि का हर की व्यवस्था की थी। प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत पहली से आठवीं तक के बच्चों के लिए गरम भोजन की व्यवस्था के साथ ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के द्वारा तत्कालीन यूपीएस सरकार ने प्राथमिक कक्षा के बच्चों के लिए 450 कैलोरी के साथ न्यूनतम 12 ग्राम प्रोटीन युक्त पका हुआ भोजन तथा छठवीं से आठवीं के बच्चों के लिए 700 कैलोरी के साथ न्यूनतम 20 ग्राम प्रोटीन युक्त पके हुए भोजन की व्यवस्था का प्रावधान किया है। डबल इंजन की भाजपा सरकार में बच्चों को कहीं भी गुणवत्ता युक्त भोजन नहीं मिल पा रहा है।

सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के समय सितंबर 2019 में पौष्टिक ब्रेकफास्ट योजना आदिवासी बाहुल्य बिलासपुर और कोरिया जिले में शुरू किया गया था जिसके तहत प्रोटीन युक्त सोया क्रंच, चिवड़ा, मिलेट हलवा, सोया बिस्किट जैसे स्वादिष्ट और पौष्टिक नाश्ता स्कूली बच्चों को देने की व्यवस्था थी। 2 अक्टूबर 1019 को पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान शुरू किया, जिसके तहत आंगनबाड़ी केंद्रों, बालवाड़ी और स्कूलों में गर्म भोजन के साथ लड्डू, चना, गुड़, दूध, फल, मूंगफली, अंकुरित अनाज और चिक्की बच्चों को दिए जाते थे। भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद से पिछले 6 महीनों से छत्तीसगढ़ में यह व्यवस्था अघोषित तौर पर बंद है।

वर्मा ने कहा है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के प्रयासों से छत्तीसगढ़ में 2 लाख 57 हज़ार से अधिक बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए थे और 3 लाख 85 हजार से अधिक महिलाएं छत्तीसगढ़ में एनीमिया से बाहर आई थी। मध्यान भोजन, पौष्टिक ब्रेकफास्ट योजना, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान और रेडी टू ईट जैसे कार्यक्रमों के चलते बेहतर परिणाम मिलने लगे थे। छत्तीसगढ़ में अब भाजपा की सरकार आते ही स्थिति फिर बदहाल होने लगी है।

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