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एकादशी व्रत के प्रकार एवं महत्व,हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का है विशेष महत्व

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एकादशी व्रत के प्रकार एवं महत्व

न्यूज डेस्क छत्तीसगढ़: एकादशी व्रत हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे हर महीने में दो बार, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे धारण करने से अनेक धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं।

1. धार्मिक महत्व: एकादशी व्रत भगवान विष्णु के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इसे करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और पापों से मुक्ति मिलती है।

2. आध्यात्मिक शुद्धि: यह व्रत मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे करने से आत्मा को शांति और सुकून मिलता है।

3. स्वास्थ्य लाभ: एकादशी व्रत का पालन शरीर को डिटॉक्सिफाई करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होता है।

एकादशी व्रत की विधि :-1. व्रत की पूर्व संध्या :व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन ग्रहण करें और तामसिक भोजन का त्याग करें।रात्रि में भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।

2. व्रत के दिन :- प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।- घर के पूजा स्थान में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।- भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।- पूरे दिन उपवास करें। कुछ लोग फलाहार या केवल जल ग्रहण करते हैं, जबकि कुछ लोग निराहार व्रत रखते हैं।- विष्णु सहस्रनाम, भगवद गीता का पाठ करें या भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।- रात में जागरण (जागरण) करें और भगवान का भजन-कीर्तन करें।

3. द्वादशी (अगले दिन) :- प्रातःकाल स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें।- ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।- व्रत का पारण करें, यानी व्रत को तोड़ने के लिए भोजन ग्रहण करें।एकादशी व्रत के प्रकार :-वर्षभर में 24 एकादशियां होती हैं, जिनमें से प्रमुख एकादशियों के नाम और महत्व निम्नलिखित हैं:एकादशी व्रत हिन्दू धर्म में विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे हर चंद्र माह की ग्यारहवीं तिथि (एकादशी) को रखा जाता है। प्रत्येक महीने में दो एकादशी होती हैं: शुक्ल पक्ष की एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी। इस प्रकार, एक वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं, और अधिकमास (अधिमास) के साथ यह संख्या 26 हो सकती है। यहाँ विभिन्न एकादशी व्रतों के नाम और उनके महत्व का विवरण दिया गया है:

1. कामदा एकादशी (चैत्र शुक्ल पक्ष)महत्व: कामदा एकादशी व्रत व्यक्ति के सभी प्रकार के पापों को दूर करता है और उसे पुण्य का फल प्रदान करता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करके उन्हें खुश करने का प्रयास किया जाता है।

2. बरुथिनी एकादशी (वैशाख कृष्ण पक्ष)महत्व: बरुथिनी एकादशी का व्रत जीवन की सभी समस्याओं और कष्टों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि करता है।

3. मोहिनी एकादशी (वैशाख शुक्ल पक्ष)महत्व: मोहिनी एकादशी का व्रत मोह और भ्रम से मुक्ति दिलाता है और जीवन में सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा की जाती है।

4. अपरा एकादशी (ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष)महत्व: अपरा एकादशी का व्रत धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इसे अचला एकादशी भी कहा जाता है।

5. निर्जला एकादशी (ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष)महत्व: निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें जल का भी सेवन नहीं किया जाता। इस व्रत को करने से पूरे वर्ष की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है।

6. योगिनी एकादशी (आषाढ़ कृष्ण पक्ष)महत्व: योगिनी एकादशी का व्रत विशेष रूप से पापों के नाश और रोगों से मुक्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत शरीर को शुद्ध करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

7. देवशयनी एकादशी (आषाढ़ शुक्ल पक्ष)महत्व: देवशयनी एकादशी, जिसे हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है, भगवान विष्णु की निद्रा आरंभ का प्रतीक है। यह व्रत चार महीने (चातुर्मास) के व्रतों की शुरुआत का सूचक है।

8. कामिका एकादशी (श्रावण कृष्ण पक्ष)महत्व: कामिका एकादशी का व्रत कष्टों को दूर करता है और पापों से मुक्ति दिलाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव की भी पूजा की जाती है।

9. पुत्रदा एकादशी (श्रावण शुक्ल पक्ष)महत्व: पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति और संतान के कल्याण के लिए किया जाता है। इसे श्रावण पुत्रदा एकादशी भी कहते हैं।

10. अजा एकादशी (भाद्रपद कृष्ण पक्ष)महत्व: अजा एकादशी का व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाता है और जीवन में शांति और समृद्धि लाता है।

11. पार्श्व या वामन एकादशी(भाद्रपद शुक्ल पक्ष)महत्व: इस दिन भगवान वामन की पूजा की जाती है और यह व्रत सभी प्रकार की समस्याओं और कष्टों को दूर करता है।

12. इंदिरा एकादशी (आश्विन कृष्ण पक्ष)महत्व: इंदिरा एकादशी का व्रत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। यह व्रत पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है।

13. पद्मिनी एकादशी (अधिकमास)महत्व: यह एकादशी अधिकमास (अधिमास) में आती है और विशेष रूप से पुण्य की प्राप्ति और जीवन में सुख-शांति के लिए की जाती है।

14. परमा एकादशी (अधिकमास)महत्व: परमा एकादशी भी अधिकमास में आती है और यह व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति में मदद करती है।

15. पापांकुशा एकादशी (आश्विन शुक्ल पक्ष)महत्व: पापांकुशा एकादशी का व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाता है और जीवन में समृद्धि लाता है।

16. रमा एकादशी (कार्तिक कृष्ण पक्ष)महत्व: रमा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। यह व्रत धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है।

17. देवउठनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल पक्ष)महत्व: देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, भगवान विष्णु के निद्रा से जागने का प्रतीक है। यह व्रत विशेष रूप से शुभ और पुण्यदायी माना जाता है।

18. उत्पन्ना एकादशी (मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष)महत्व: उत्पन्ना एकादशी का व्रत सभी प्रकार के पापों को नष्ट करता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति में सहायता करता है।

19. मोक्षदा एकादशी (मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष)महत्व: मोक्षदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इसे गीता जयंती भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवद गीता का उपदेश हुआ था।

20. सफला एकादशी (पौष कृष्ण पक्ष)महत्व: सफला एकादशी का व्रत सभी प्रकार की सफलता और समृद्धि के लिए किया जाता है।

21. पुत्रदा एकादशी (पौष शुक्ल पक्ष)महत्व: यह पुत्रदा एकादशी विशेष रूप से संतान प्राप्ति और संतान के कल्याण के लिए की जाती है।

22. षट्तिला एकादशी (माघ कृष्ण पक्ष)महत्व: षट्तिला एकादशी का व्रत शरीर की शुद्धि और पवित्रता के लिए किया जाता है। यह व्रत दान और सेवा का महत्व बताता है।

23. जया एकादशी (माघ शुक्ल पक्ष)महत्व: जया एकादशी का व्रत सभी प्रकार के पापों और कष्टों से मुक्ति दिलाता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है।

24. विजया एकादशी (फाल्गुन कृष्ण पक्ष)महत्व: विजया एकादशी का व्रत जीवन में विजय और सफलता प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

25. आमलकी एकादशी (फाल्गुन शुक्ल पक्ष)महत्व: आमलकी एकादशी का व्रत विशेष रूप से स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए किया जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है।

26. पापमोचनी एकादशी (चैत्र कृष्ण पक्ष)महत्व: पापमोचनी एकादशी का व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाता है और जीवन में शांति और समृद्धि लाता है।

निष्कर्ष:एकादशी व्रत का पालन हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर एकादशी का अपना विशेष महत्व और फल होता है। इन व्रतों का सही तरीके से पालन करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।एकादशी व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने, आत्मिक शुद्धि और स्वास्थ्य लाभ के लिए महत्वपूर्ण है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक और शारीरिक दृष्टि से भी लाभकारी है। इस व्रत का पालन श्रद्धा और नियमों के साथ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, पापों से मुक्ति और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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