सनातन धर्म की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जो हर हिन्दू को पता होना चाहिए…
न्यूज डेस्क छत्तीसगढ़: 1. कलावा (मौली) :-कलावा बांधने के कई धार्मिक कारणों के अलावा इसके कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं। आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में तीन दोष होते हैं, वात, पित्त और कफ जिन्हें त्रिदोष भी कहा जाता है। इन दोषों की अस्थिरता हानिकारक परिणाम दे सकती है। कलावा बांधने से कलाई की नसें आपके तीनों दोषों को कम करने में मदद करती है। यह शरीर में संतुलन बनाए रखने के साथ बीमारियों से भी बचाता है। इसलिए कलावा पूजा के दौरान कलावा बांधने की सलाह दी जाती है।
2. तुलसी पूजन :-तुलसी माता को स्नान, चन्दन, कुमकुम, गंगा जल, बिल्वपत्र, दीप, नैवेद्य, धूप, आरती, माला, पुष्प, निवेदन, आदि से पूजते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुलसी पूजन से घर में सुख, समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।तुलसी पूजन का महत्वपूर्ण अंग है भागवत पुराण में वर्णित है कि एक व्यक्ति जो तुलसी माला धारण करके भगवान को प्रणाम करता है, उसे सर्वप्रथम तुलसी माता का प्रणाम करना चाहिए।
3. पीपल को जल चढ़ाना :-पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने से सभी देवी-देवताओं को जल अर्पित हो जाता है और उनकी कृपा हम पर बनी रहती है। इसके अलावा, पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने से घर में मौजूद नकारात्मकता भी दूर होती है और घर में सकारात्मकता एवं दैवीय शक्तियों का संचार होता है।
4. सुबह-शाम दीपक जलना :-नियमित रूप से दीपक जलाया जाता है तो घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है। वास्तु दोष बढ़ाने वाली नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। दीपक के धुएं से वातावरण में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं। दीपक अंधकार खत्म करता है और प्रकाश फैलाता है। मान्यता है देवी-देवताओं को दीपक की रोशनी विशेष प्रिय है, इसीलिए पूजा-पाठ में दीपक अनिवार्य रूप से जलाया जाता है।
5. तिलक लगाना :-भारतीय परंपरा के अनुसार तिलक लगाना सम्मान का सूचक भी माना जाता है। माना जाता है कि माथे पर तिलक लगाने से सकारात्मकता आती है और कुंडली में मौजूद उग्र ग्रह शांत होते हैं। शास्त्रों के मुताबिक चंदन का तिलक लगाने वाले का घर अन्न-धन से भरा रहता है और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। तिलक लगाने से जीवन में यश बढ़ता है और पापों का नाश होता है। साथ ही, जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और शरीर में सकारात्मकता का भाव बना रहता है। इससे मन में अच्छे विचार आते हैं और किसी भी काम को करने की क्षमता को हम कई गुना तक बढ़ा सकते हैं।
6. शंखनाद :-शास्त्रों के अनुसार, शंखनाद यानी शंख बजाना उत्तम होता है. पूजा पाठ से लेकर किसी धार्मिक कार्यक्रम में शंखनाद किया जाता है. शंख बजाने से घर पर पॉजिटिव एनर्जी आती है. घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. हमार शरीर स्वस्थ रहता है. शंख की ध्वनि से कई रोगों के कीटाणु नष्ट होते हैं.दूर होती हैं बीमारियां : कहते हैं रोजाना शंख बजाने से हम स्वस्थ रहते हैं. इससे हमारी मांसपेशियां मजबूत होती हैं. जिस कारण मूत्र रोग, पेट, छाती और गर्दन से जुड़ी बीमारियां दूर होती है. शंखनाद से श्वास लेने की क्षमता में वृद्धि होती है. इससे थायराइड या बोलने संबंधित बीमारियों में राहत मिलती है
.7. मंदिर में घंटी बजाना :-धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब हम मंदिर में प्रवेश करते हुए घंटी बजाते हैं तो ऐसा माना जाता है कि हमारे शरीर की पूरी नकारात्मक ऊर्जा घंटे की ध्वनि से नष्ट हो जाती है और साथ ही लोगों के सुख-समृद्धि के द्वार भी खुल जाते हैं. ये भी कहा जाता है कि घंटे की ध्वनि भगवान को अति प्रिय लगती है. घंटी बजाकर भक्त भगवान से मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति मांगते हैं और देवी-देवताओं का ध्यान अपनी तरफ केंद्रित करते हैं और फिर उसके बाद उनकी पूजा-अर्चना करते है. घंटी बजाने का वैज्ञानिक कारणवैज्ञानिक मान्यता के मुताबिक जब किसी मंदिर में घंटी बजती है तो वातावरण में कंपन होता और यह वायुमंडल की वजह से काफी दूर तक जाता है. उस दौरान जहां तक घंटी की आवाज सुनाई देती है वहां आसपास जीवाणु विषाणु सब खत्म हो जाते हैं. जिससे मंदिर और उसके आसपास का वातावरण भी शुद्ध होता है. इतना ही नहीं धार्मिक मान्यता के मुताबिक मंदिर में घंटी बजाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. इससे लोगों के सुख और समृद्धि के द्वार भी खुलते हैं.
8. हवन का महत्व :-हवन वातावरण को शुद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है। हवन कराने से पवित्रता बनी रहती है। इससे आसपास मौजूद नाकारत्मक ऊर्जा समाप्त होती है। साथ ही वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। हवन कराने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद आपके परिवार पर बना रहता है। हवन करने से पहले स्वच्छता का ध्यान रखा जाना जरूरी है।हवन के वैज्ञानिक लाभहवन के साथ किसी मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती है। साथ ही शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। सुविधानुसार, कोई भी मंत्र बोला जा सकता है। आधे घंटे हवन में बैठा जाए और हवन के धुएं का शरीर से सम्पर्क हो तो टाइफाइड जैसे जानलेवा रोग फैलाने वाले जीवाणु खत्म हो जाते हैं। हवन में अधिकतर आम की लकड़ियों का ही प्रयोग किया जाता है आम की लकड़ियों को जलाने से वातावरण में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणु समाप्त हो जाते हैं। इसके साथ ही वातावरण भी शुद्ध होता है।