हिरमी- रावन: शांतिकुंज संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित पावन प्रज्ञा पुराण कथा का गायत्री प्रज्ञापीठ सकलोर में आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने भजनों का भी गायन किया।सुबह कार्यक्रम का शुभारंभ डां.रामकुमार वर्मा द्वारा मुख्य पूजन के साथ किया गया। तेजराम एवं परमानंद ने भजन गायन किया पावन प्रज्ञा पुराण कथा पर प्रवचन करते हुए कहा कि प्रज्ञा पुराण कथा में 18 पुराणों का सार है। धार्मिक, नैतिक अथवा आध्यात्मिक कथाओं से मनुष्य का नैतिक उत्थान होता है। प्रज्ञा पुत्र परमानंद ने बताया कि प्रज्ञा पुराण के चार खंड हैं। प्रथम खंड लोक कल्याण जिज्ञासा प्रकरण से शुरू होता है। यह प्राणी को आत्मबोध कराता है।
द्वितीय खंड मानव जीवन को स्वार्थ से उठकर परमार्थ की प्रेरणा देता है। तृतीय खंड में परिवार निर्माण, नारी जागरण, शिशु निर्माण और वसुधैव कुटुंबकम का पाठ पढ़ाया जाता है। वहीं चतुर्थ खंड में भारतीय संस्कृति के जागरण का संदेश है। कथाव्यास ने कहा कि प्रज्ञा पुराणा कथा का शुभारंभ देवर्षि नारद और भगवान विष्णु के संवाद से होता है। प्रज्ञा पुराण में वसुधैव कुटुंबकम को स्पष्ट करते हुए कहा कि विश्व परिवार की परिधि बहुत विशाल है। उसमें समस्त प्राणी आ जाते हैं। भारत में पशु पक्षियों को भी परिवार का सदस्य माना जाता है। यहां गाय के लिए पहली और कुत्ते के लिए आखिरी रोटी निकाली जाती है। चीटियों को आटा और पक्षियों को दाना डालते हैं।
वास्तव में सच्चा सुख देने में है, लेने में नहीं। गायत्री प्रज्ञापीठ सकलोर में 10 से 14 फरवरी तक पावन प्रज्ञा पुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। शांतिकुंज के टोली नायक पावन प्रज्ञा पुराण में लोकरंजन के साथ लोकमंगल की सर्व सुलभ साधन कथाएं हैं। जो व्यक्ति और समाज की व्यथा को हर लेतीं हैं। प्रज्ञा पुराण व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण और संस्कार व भारत निर्माण खंडों में रची गई है। इस अवसर गांव के गणमान्य नागरिक गायत्री परिवार सकलोर हिरमी,कुथरौद सहित अनेक गायत्री परिवार के श्रद्धालुओं की उपस्थित रही।