रायपुर: छत्तीसगढ़ प्रदेश के शासकीय कार्यालयों में कार्यरत अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण/स्थायीकरण, निकाले गए कर्मचारियों की बहाली, न्यून मानदेय कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन दिए जाने, अंशकालीन कर्मचारियों को पूर्णकालीन करने, आउट सोर्सिंग/ठेका/सेवा प्रदाता सिस्टम बंद करने छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारियों के पदाधिकारी पुनः माननीय मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन सौंपा एवं अनुरोध किया कि प्रदेश के अनियमित कर्मचारियों के समस्याओं को लोकसभा चुनाव के पूर्व कार्यवाही करें| माननीय मुख्यमंत्री ने पदाधिकारियों की बातों गंभीरता से सुना एवं ज्ञापन को पढ़ा तथा आवश्यक कार्यवाही करने का भरोसा दिलाया|
ज्ञातव्य है कि आवश्यकता नहीं होने, बजट आभाव का कारण बताते हुए अनेक विभाग के कर्मचारियों छटनी की जा रही है, अनेक विभाग के अनियमित कर्मचारियों को विगत 3-4 माह से वेतन प्राप्त नहीं हो रहे है, अनेक वर्षों से वेतन वृद्धि नहीं की गई है जिससे अनियमित कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहा है|उल्लेखनीय है कि प्रदेश के शासकीय कार्यालयों में अनियमित कर्मचारी जैसे-आउट सोर्सिंग (प्लेसमेंट), सेवा प्रदाता, ठेका, जाबदर, संविदा, दैनिक वेतन भोगी, कलेक्टर दर, श्रमायुक्त दर पर कार्यरत श्रमिक, मानदेय, अशंकालिक के रूप विगत 5, 10, 15, 20, 25 वर्षों से अधिक समय से कार्यरत है| ये अनियमित कर्मचारी प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है| सामान कार्य करने के बावजूद ये नियमित कर्मचारी से आधे से कम वेतन में कार्य करने विवश है| वर्तमान में इनकी स्थिति मध्यकालीन बन्धुआ मजदूर से बदतर है| बेरोजगारी, आर्थिक असुरक्षा, पारिवारिक जिम्मेदारी, प्रशासनिक दबाव के कारण ये अनियमित कर्मचारी अपने विरुद्ध हो रहे अन्याय का चुप-चाप सह रहे है|
उपरोक्त कारणों से समाज के पढ़े-लिखे नव-युवा/युवतियां मानसिक अवसाद से ग्रसित हो रहे है| छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी मोर्चा, अपने 86 सहयोगी अनियमित संगठनों (जिसकी संख्या 3 लाख से अधिक है) के साथ मिलकर अपने अधिकार के लिए निरंतर संघर्ष रत है| प्रतिनिधि मंडल में गोपाल प्रसाद साहू संयोजक, श्री प्रेम प्रकाश गजेन्द्र, रेशम विभाग के विकास पैकरा, रज्जन राम कोरिया से , भुवन चन्द्र जांजगीर से, बलराम बघेल, सोनुराम नाग बस्तर से हेमराज दंतेवाडा प्रमुख रूप से सम्मिलित थे|