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अग्रसेन महाविद्यालय में मनाई गई स्वामी विवेकानंद की जयंती,स्वामी आज भी हैं युवाओं के आदर्श

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रायपुर : अग्रसेन महाविद्यालय में आज स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई गई. राष्ट्रीय सेवा योजना, पत्रकारिता विभाग तथा आई.क्यू.ए.सी. द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में आर.जे. अनिमेश शुक्ला ने युवाओं से संवाद किया.आमंत्रित वक्ता अनिमेष शुक्ला उन्होंने कहा कि हमारे देश में युवाओं के आदर्श के रूप में आध्यात्मिक चेतना के प्रतीक स्वामी विवेकानंद से बड़ा नाम कोई दूसरा नहीं है. उन्होंने गुलामी के दौर में भी अपने प्रसिद्द शिकागो भाषण के जरिये, भारत की ज्ञान-परम्परा की श्रेष्ठता को पूरे विश्व में स्थापित किया. इसी वजह से आज भी हम विवेकानंद के विचारों को याद करते हैं. उन्होंने विवेकानंद के रायपुर में रहने के दौर की चर्च करते हुए कहा कि लक्ष्य की प्राप्ति तक अपने प्रयासों को विराम नहीं देना- विवेकानंद का परम ध्येय वाक्य रहा है. शिकागो धर्म संसद में उनके दो मिनट के भाषण के आरंभ में ही करीब पांच मिनट तक तालियाँ बजती रहीं, जो इस बात का प्रमाण है कि विवेकानंद की वाणी में कैसा जादू था. देश भर में रामकृष्ण मिशन आश्रम की स्थापना के जरिये विवेकानंद ने अपने गुरु को जो स्थान दिलाया है, वैसा उदाहरण दूसरा देखने को नहीं मिलता.

इस अवसर पर पत्रकारिता विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. विभाष कुमार झा ने कहा कि अपने युवा दिनों में स्वामी विवेकानंद स्वभाव से नास्तिक थे. लेकिन बाद में रामकृष्ण परमहंस के सान्निध्य में ज्ञान को उपलब्ध होने के बाद उन्होंने यही कहा था कि वे तो केवल उसी एक भगवान को जानते हैं, जिसे सब लोग अज्ञानतावश मनुष्य कहते हैं. और सच भी यही है कि ज्ञान को प्राप्त करने वाला हर व्यक्ति हर एक मनुष्य और जीव में काल ईश्वर के अंश को ही अनुभव करता है. उसके लिए फिर कोई भेद नहीं रह जाता. विवेकानंद ने शरीर की ऊर्जा को संचित रखने के लिए खेल और योग को अपनाने की बात हमेशा कही. प्रो. विभाष झा ने कहा कि विवेकानंद ने अपने छोटे से जीवन-काल में अपने कार्यों से सभी के मन में जो सेवा-भावना जगाई. वह योगदान ही उन्हें हमेशा अम्रर रखेगा.

कार्यक्रम के आरंभ में अपने स्वागत भाषण देते हुए महाराजाधिराज अग्रसेन शिक्षण समिति के अध्यक्ष तथा महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ वी.के. अग्रवाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का सम्बन्ध रायपुर से भी रहा. उन्होंने भारत की गुलामी के दौर में भी अपने विचारों से देश की अध्यात्मिक शक्ति से पूरी दुनिया को परिचित कराया, इसीलिए आज भी हम उन्हें अपना आदर्श मानते हैं. महाराजाधिराज अग्रसेन शिक्षण समिति के सचिव तथा महाविद्यालय के एडमिनिस्ट्रेटर डॉ. अमित अग्रवाल ने इस आयोजन को समस्त विद्यार्थियों के लिए सार्थक और उपयोगी बताया. आइक्यूएसी कोऑर्डिनेटर डॉ. डॉली पांडेय ने कहा कि विवेकानंद ने गीता को सभी धर्मों का सार बताया था. उन्होंने कहा कि विवेकानंद ने भारत के सनातन ज्ञान को विश्व के मानचित्र में स्थापित करने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन करते हुए प्राचार्य डॉ युलेन्द्र कुमार राजपूत ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचारों को अपनाकर युवा अपना जीवन और भविष्य संवार सकते हैं. उन्होंने कहा कि युवा यदि अपनी शक्ति को पहचान लें, तो वे समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं. कार्यक्रम का संयोजन आइक्यूएसी कोऑर्डिनेटर डॉ. डॉली पांडेय एवं प्रो नीलू अग्रवाल ने किया तथा संचालन एनएसएस प्रभारी प्रो. दीपिका अवधिया ने किया. इस आयोजन में सभी प्राध्यापकों की सक्रिय भागीदारी रही।

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