रायपुर: आईसीएफएआई विश्वविद्यालय, रायपुर में सोमवार को कंटेम्परोरी ट्रेंडस एंड फंडामेंटलस् ऑफ साइंटिफिक रिसर्च पर सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का प्रारंभ हुआ। गुरूघासीदास विवि के कुलपति डॉ. आलोक चक्रवाल ने कहा कि रिसर्च का मलतब अंग्रेजी में थीसिस लिखना नहीं है। विभिन्न विकसित देश अपनी मातृभाषा में काम करते हैं। इसलिए भाषा को लेकर कोई भ्रम न हो। वैज्ञानिक शोध हम किसी भी भाषा में शोध कर सकते हैं। दरअसल वही भाषा अच्छी मानी जाती हो अधिकतर को समझ में आए। वह भाषा जो दिलों में उतर जाए। वह रिसर्च और थीसिस अच्छा है जो देश को प्रगति की ओर ले जाए। रिसर्च वैसा हो जो आम व्यक्ति के काम आए। डॉ. चक्रवाल ने कहा कि केवल एसपीएसएस और एक्सल जैसे माध्यमों से डाटा कलकुलेट करना रिसर्च नहीं है।
एक ही प्रविधि और परिकल्पना का बार-बार प्रयोग अनुचित है। केवल खानापूर्ति के लिए रिसर्च न हो। डॉ. चक्रवाल ने रिसर्च को आवश्यकता के बाद की प्रक्रिया बताते हुए व्हाट्सअप के शुरू होने का उदाहरण बताया। डॉ. चक्रवाल ने कहा कि केवल विदेशी विद्वानों को पढ़ना भी उचित नहीं है। डॉ. चक्रवाल ने बताया यह जरूरी नहीं रिसर्च के अधिक से अधिक पन्ने हों। अच्छे रिसर्च में कई रिसर्च ऐसे भी हैं जो 10 और चालीस पेज के भी हैं।एनसीआरटी के प्रो सतीश ने अपने उद्बोधन में , रिसर्च एजेंसी, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डॉ. मनीष उपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर कुलपति डॉ. दुबे, कन्वेनर डॉ. संजय कुमार यादव सहित अन्य उपस्थित थे।