भगवान का कल्याण महोत्सव धूमधाम से मनाया गया,भक्तों ने भगवान का लिया दर्शन लाभ
तिल्दा-नेवरा: श्री लक्ष्मी वेंकटेश मंदिर तुलसी तिल्दा में तिरुपति बालाजी का अभिषेक दक्षिण भारत से आए हुए आचार्य ने किया। दूध, दही, घी, शर्करा विविध फलों के रस से तिरुपति बालाजी का महाभिषेक संपन्न हुआ। इसमें जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज ने बालाजी की महिमा का बखान करते हुए बताया कि तिरुपति बालाजी का वास्तविक नाम वेंकटेश्वर स्वामी है,जो स्वयं भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं। इस मंदिर की कहानी को लेकर ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान विष्णु पत्नी लक्ष्मीजी के साथ क्षीर सागर में अपने शेषशैय्या पर विश्राम कर रहे थे।
तभी वहां भृगु ऋषि आए और उनके छाती पर एक लात मारी,लेकिन भगवान विष्णु क्रोधित नहीं हुए बल्कि उन्होंने भृगु ऋषि के पांव पकड़ लिए और पूछा, ऋषिवर आपके पैरों में चोट तो नहीं लगी, लेकिन लक्ष्मी जी को भृगु ऋषि का ऐसा व्यवहार पसंद नहीं आया और वो क्रोधित होकर बैकुंठ छोड़कर चली गई और पृथ्वी पर माता लक्ष्मी ने पद्मावती नाम की कन्या के रूप में जन्म लिया।महाराज ने बताया कि तब माता लक्ष्मी से मिलने भगवान विष्णु अपना रूप बदलकर वेकेंटेश्वर स्वामी के रूप में मां लक्ष्मी यानी पद्मावती से मिलने पहुंचे और उनके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा।
वेकेंटेश्वर स्वामी के विवाह प्रस्ताव को देवी पद्मावती ने स्वीकार कर लिया और इस तरह के एक बार फिर से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की शादी हो गई,इसलिए ऐसा नियम है कि तिरुपति बालाजी के दर्शन के बाद देवी पद्मावती के दर्शन किए जाते हैं। भगवान का कल्याण महोत्सव मनाया गया। सभी ने भगवान का दर्शन लाभ प्राप्त किया। घनश्याम अग्रवाल विट्ठल जी मुनका राइस वाले की तरफ से भंडारा प्रसाद की सेवा निरंतर चल रही है।