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अब नही मिलेंगी तारीख पे तारीख,देश में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानून, गृह मंत्री शाह की मेहनत रंग लाई….जानिए नए कानून के फायदे

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ब्रेकिंग न्यूज डेस्क: देश के आपराधिक कानूनों में बदलाव से जुड़े तीन विधेयक दोनों सदन से पास हो गए. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 3 तीन नए आपराधिक विधेयकों को मंजूरी दे दी है. ये तीनों विधेयक अब कानून बन गए हैं. इन विधेयकों में इनमें भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (आईईए) शामिल हैं.

नई पिटीशन, बचाव पक्ष की दलीलों में अब इन्हीं कानूनों का इस्तेमाल होगा. यानि कि अदालतों से नहीं मिलेगी ‘तारीख पर तारीख. नए आपराधिक कानूनों के लागू होने पर क्या बदलेगा? ये विधेयक कानून की शक्ल लेते हैं तो अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे 125 साल से अधिक पुराने तीन कानून खत्म हो जाएंगेअब इन तीनों बिलों को जांच के लिए संसदीय समिति के पास भेज दिया गया है. इसके बाद इन्हें लोकसभा और बाद में राज्यसभा में पारित कराया जाएगा. अगर यह तीन विधेयक कानून की शक्ल लेता है तो ये बिल भारतीय दंड संहिता (आपीसी), कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह ले लेंगे.

नए कानून की धाराओं में बदलाव?

आइपीसी में फिलहाल 511 धाराएं हैं. इसकी जगह भारतीय न्यायिक संहिता लेता है तो इसमें 356 धाराएं रह जाएंगी. पुराने कानून से नए कानून में 175 धाराएं बदल जाएंगी. भारतीय न्यायिक संहिता में 8 नई धाराएं जोड़ी जाएंगी, 22 धाराएं हटाई जाएंगी.इसी तरह सीआरपीसी में 533 धाराएं रह जाएंगी और 160 धाराएं बदल जाएंगी. नए कानून में 9 नई धाराएं जोड़ी गई है और 9 खत्म का गई है.

छह बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव क्या हैं?

मॉब लिंचिंग और नफरती अपराधों के लिए बढ़ाई गई सजा वर्तमान में जो कानून है उसमें मॉब लिंचिंग और नफरती अपराध के लिए कम से कम सात साल की सजा का प्रावधान था. इस नियम के अनुसार जब पांच या उससे ज्यादा लोगों का समूह किसी व्यक्ति के जाति या समुदाय के आधार पर उसकी हत्या के मामले में शामिल पाया जाता है. तो उस समूह के सभी सदस्यों को न्यूनतम सात साल की कैद की सजा दी जाएगी. लेकिन नए कानून में इस तरह के मामलों में दोषी पाए गए लोगों को की आजीवन कारावास कर दिया गया है.आतंकवादी गतिविधि को परिभाषित किया गया पहली बार आतंकवादी गतिविधी को भारतीय न्याय संहिता के तहत पेश किया गया था. नए विधेयक में इसके कानून में कुछ बदलाव किए गए है. नया विधेयक के तहत अब आर्थिक सुरक्षा को खतरा भी आतंकवादी गतिविधि के अंतर्गत आएगा.इसके अलावा तस्करी या नकली नोटों का उत्पादन करके देश की वित्तीय स्थिरता को नुकसान पहुंचाना भी आतंकवादी अधिनियम के अंतर्गत आएगा. भारत में रक्षा या किसी सरकारी उद्देश्य के लिए गए संपत्ति को विदेश में नष्ट करना भी आतंकवादी गतिविधि का ही हिस्सा होगा.देश में सरकारों को कुछ भी करने पर मजबूर करने के लिए किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेना या किसी भी व्यक्ति का अपहरण करना भी आतंकवादी गतिविधि ही माना जाएगा.छोटे अपराध को किया गया परिभाषा वर्तमान में जो कानून है उसमें संगठित समूहों द्वार किए गए अपराध जैसे गाड़ियों की चोरी, फोन स्नैचिंग के लिए दंड का प्रावधान किया गया था, अगर इससे आम जनता को असुरक्षा की भावना पैदा होती हो तो. लेकिन नए कानून में असुरक्षा की भावना की यह अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है.कोर्ट कार्यवाही प्रकाशित करने पर भी सजा का प्रावधान नए विधेयक में नया प्रावधान जोड़ा गया है जिसके जो कोई भी रेप के मामलों के अदालती कार्यवाही की खबर बिना कोर्ट के अनुमति के प्रकाशित करता है तो ऐसी स्थिति में उसे 2 साल तक की जेल हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.मानसिक बीमार नहीं ‘विक्षिप्त दिमाग’वर्तमान के कानून में यानी आईपीसी में मानसिक रूप से बीमार लोगों को सजा में छूट दी जाती है. लेकिन नए कानून यानी भारतीय न्याय संहिता में इस “मानसिक बीमारी” शब्द का नाम बदल दिया गया था. अब ऐसे अपराधि को ‘विक्षिप्त दिमाग’ वाला अपराधी कहा जाएगा.सामुदायिक सेवा को किया गया परिभाषानई विधेयक में (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) में सामुदायिक सेवा को विस्तार में परिभाषित किया गया है. इसके अनुसार सामुदायिक सेवा एक ऐसी सजा को कहा जाएगा जो समुदाय के लिए फायदेमंद होगी और इसके लिए अपराधी को कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जाएगा.क्या है खासियत नए कानून कीमॉब लिंचिंग में फांसी की सज़ा का प्रावधान हिट एंड रन केस में 10 साल की सज़ाअस्पताल पहुंचाने पर सज़ा कम हो सकती हैराजद्रोह खत्म,अब देशद्रोह कानून होगादेशद्रोह में 7 साल से आजीवन जेल तक की सज़ा.E-FIR पर 2 दिन के अंदर जवाब की व्यवस्था।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य मंत्री ने कहा

भारत की महामहिम राष्ट्रपति महोदया द्वारा भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य संहिता को मंजूरी प्रदान की गई है। इससे भारत में न्याय का एक नया अध्याय प्रारंभ होगा।

मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर मान. प्रधानमंत्री एवं मान. गृह मंत्री का हृदय से धन्यवाद करना चाहूंगा। उनकी दूरदर्शी सोच से आज हमें अंग्रेज़ शासनकाल से चले आ रहे कानूनों के स्थान पर सशक्त संहिताएं प्राप्त हुई हैं जिससे निश्चित ही भारत की न्याय व्यवस्था सुदृढ़ होगी।

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