
हिरमी – रावन: ग्राम सकलोर ( हिरमी ) में इन दिनों भक्ति की अविरल धारा बह रही है। अवसर है—स्व. श्री अयोध्या प्रसाद वर्मा एवं स्व. श्रीमती सुरूज बाई वर्मा की पावन स्मृति में आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का। अखिल ब्रह्माण्ड नायक भगवान श्री कृष्णचंद्र जी की असीम अनुकंपा से आयोजित इस भव्य अनुष्ठान के द्वितीय दिवस पर श्रोता कथा के अद्भुत प्रसंगों को सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए। राष्ट्रीय कथा वाचिका, बालविदुषी सुश्री अनन्या शर्मा जी ने व्यासपीठ से द्वितीय दिवस की कथा का प्रारंभ करते हुए भागवत के गूढ़ रहस्यों को उजागर किया। कथा के मुख्य आकर्षण नारद-व्यास संवाद और भागवत की रचना: जब वेद व्यास जी चारों वेदों और पुराणों की रचना के बाद भी अशांत थे, तब देवर्षि नारद ने उन्हें भगवान की लीलाओं का गान करने का उपदेश दिया। इसी प्रेरणा से व्यास जी ने श्रीमद्भागवत’ की रचना की, जो मनुष्य के कल्याण का परम मार्ग है। शुकदेव-परीक्षित मिलन कथा में बताया गया कि कैसे राजा परीक्षित ने तक्षक नाग के डसने के भय को त्याग कर शुकदेव जी के चरणों में बैठकर सात दिनों में मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया वराह अवतार और ध्रुव चरित्र: भगवान के वराह अवतार की कथा सुनाते हुए बताया गया कि कैसे अधर्म का नाश करने हेतु भगवान प्रकट होते हैं। वहीं, नन्हे बालक ध्रुव के कठिन तप और उनकी अटूट श्रद्धा की कथा ने भक्तों की आंखों को नम कर दिया। शिव विवाह का उल्लास: कथा के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का प्रसंग सुनाया गया, जिस पर पूरा पांडाल “हर-हर महादेव” के जयकारों से गूंज उठा। श्रोताओं पर छाया आध्यात्मिक जादू राधा स्वरूपा सुश्री अनन्या शर्मा जी की ओजस्वी और मधुर वाणी ने भक्तों को बांधे रखा। संगीतमय भजनों पर श्रद्धालु झूमने को मजबूर हो गए। कथा के माध्यम से उन्होंने संदेश दिया कि माता-पिता की स्मृति में कराया गया यह आयोजन न केवल पितरों की शांति का मार्ग है, बल्कि समाज में संस्कार और भक्ति के बीज बोने का सशक्त माध्यम भी है। भागवत कथा केवल कान से सुनने का विषय नहीं, बल्कि जीवन में उतारने का अमृत है। जो व्यक्ति परीक्षित की भांति जिज्ञासा लेकर आता है, उसे गोविंद अवश्य मिलते हैं। बालविदुषी सुश्री अनन्या शर्माग्राम सकलोर, पो. हिरमी, जिला बलौदाबाजार (छत्तीसगढ़)। समस्त वर्मा परिवार एवं समस्त ग्रामवासी। पितृ मोक्ष एवं आध्यात्मिक जागृति हेतु समर्पित।







