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ज्ञानोदय विद्यालय हिरमी में 5 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का भव्य आयोजन, महायज्ञ में गूँजे गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के युग परिवर्तक विचार

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हिरमी – रावन: ज्ञानोदय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हिरमी में शनिवार को 5 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, अभिभावकों और गणमान्य नागरिकों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अपनी श्रद्धापूर्ण आहुतियां समर्पित कीं। यज्ञ की गरिमा और सहभागिता आयोजन: विद्यालय परिसर में आयोजित इस महायज्ञ में समाज के विभिन्न वर्गों की उत्साहपूर्ण भागीदारी रही। सभी उपस्थित लोगों ने एक साथ मिलकर विश्व कल्याण, सद्बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति के लिए हवन कुंड में आहुतियां अर्पित कीं। यज्ञ के दौरान गूंजते हुए वैदिक मंत्रों से पूरा वातावरण शुद्ध और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा। प्रेरणाप्रद गीत और महिमा का बखान ब्रम्हवादिनी बहनों का योगदान: गायत्री मंदिर हिरमी से पधारीं ब्रम्हवादिनी बहनों ने अपने मधुर और प्रेरणाप्रद गीत-संगीत के माध्यम से यज्ञ की महिमा का सुंदर गुणगान किया। गायत्री मंत्र का महत्व: इस अवसर पर श्यामसुंदर जी ने गायत्री मंत्र की महिमा का विस्तार से बखान करते हुए श्रोताओं से जीवन में ज्ञान, सद्कर्म और नैतिक मूल्यों को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र सिर्फ एक मंत्र नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति है। प्रज्ञा पुत्र प्रेमलाल सिंहा जी ने किया जीवनी एवं विचारों का ओजस्वी वर्णन आयोजित महायज्ञ के दौरान, अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक, युगदृष्टा पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ‘गुरुदेव’ की प्रेरणादायी जीवनी और उनके युग निर्माणकारी विचारों का ओजस्वी वर्णन किया गया। इस अवसर पर प्रज्ञा पुत्र श्री प्रेमलाल सिंहा जी ने गुरुदेव के संदेश को सभी श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसे लोगों ने अत्यंत श्रद्धा और ध्यान से सुना। गुरुदेव का जीवन: तप, साधना और राष्ट्रोत्थान श्री सिंहा जी ने गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य (जन्म: 20 सितंबर 1911, आंवलखेड़ा, आगरा) के संपूर्ण जीवन को साधना, राष्ट्र सेवा और समाज सुधार की एक अद्वितीय गाथा बताया क्रांतिकारी जीवन: युवावस्था में वे स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े और महात्मा गाँधी तथा गणेश शंकर विद्यार्थी के संपर्क में रहे। उन्होंने 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भी सक्रिय भूमिका निभाई। गायत्री साधना: गुरुदेव ने हिमालय में अपने परम पूज्य गुरु के मार्गदर्शन में 24-24 वर्षों के 24 महापुरश्चरण (गायत्री मंत्र का अनुष्ठान) संपन्न किए। इसी साधना के बल पर उन्होंने गायत्री महामंत्र को जन-जन तक पहुँचाया और उसे केवल ब्राह्मणों तक सीमित न रखकर सभी वर्गों के लिए सुलभ बनाया।आभार प्रदर्शन कार्यक्रम का सफल समापन विद्यालय के शिक्षक टी.आर. वर्मा के आभार प्रदर्शन के साथ हुआ। उन्होंने यज्ञ में शामिल होने और इसे सफल बनाने के लिए सभी उपस्थित जनसमूह, ब्रम्हवादिनी बहनों और गणमान्य नागरिकों का हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया। यह आयोजन विद्यालय में संस्कार और आध्यात्मिकता के पोषण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा।

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