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माथे पर तिलक, हाथ में कलावा और गले में कांठी होना आवश्यक है – पूज्य कृष्णेन्द्र

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तिल्दा नेवरा: नगर के श्री वेंकटेश बालाजी मंदिर तिल्दा में आयोजित श्री मद भागवत कथा में व्यासपीठाचार्य कृष्णेन्द्र प्रपन्नाचार्य महाराज ने कथा में कहा कि माथे पर तिलक, हाथ में कलावा और गले में कांठी होना आवश्यक है। शास्त्र कहते हैं कि जिसके माथे पर तिलक नहीं होता, वह पाप का भागी होता है। माथे पर तिलक लगाने से व्यक्ति के मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वह मानसिक शांति का अनुभव करता है।व्यास पीठ में जो शक्ति होती है, वह न केवल भौतिक रूप में होती है, बल्कि यह आध्यात्मिक उर्जा का रूप भी होती है। यह शक्ति हमें हमारी आस्थाओं और जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करती है। कथा सुनने से न केवल हमारा ज्ञान वर्धित होता है, बल्कि हमारी आत्मा भी शुद्ध होती है। व्यास पीठ और कथाएँ दोनों में ही एक अद्वितीय शक्ति होती है, जो हमें आत्मिक उन्नति, मानसिक शांति और जीवन के उच्चतम उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन करती हैं। माँ का कर्ज़ हम कभी चुका नहीं सकते। वह सिर्फ हमारी देखभाल नहीं करती, बल्कि हमारे अस्तित्व को संजीवनी शक्ति देती है। एक माँ का प्यार और बलिदान अनमोल होते हैं, और इसे शब्दों में समेटना असंभव.

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