
हिरमी – रावन: ग्राम बरडीह में स्वर्गीय नरेश वर्मा की पुण्य स्मृति में आयोजित सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथाज्ञान यज्ञ का आज भव्य समापन हो गया। कथा के अंतिम दिवस कथावाचक पं.श्रीहरिकृष्ण जी महाराज ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष की मार्मिक कथाएं सुनाकर उपस्थित श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। सुदामा चरित्र: सच्ची मित्रता और हरि कृपा का बखान महाराज श्री ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि,भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता निष्काम प्रेम और सच्ची भक्ति का अद्भुत उदाहरण है।उन्होंने बताया कि कैसे सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर द्वारकाधीश श्रीकृष्ण से मिलने गए और अपनी गरीबी का जिक्र किए बिना, केवल मित्र प्रेम के वशीभूत होकर भगवान के सम्मुख खड़े रहे। भगवान ने सुदामा के प्रेम को देखते हुए बिना कुछ माँगे ही उनकी दरिद्रता दूर कर दी। महाराज श्री ने संदेश दिया कि, भगवान हमेशा सच्चे और निर्धन भक्तों के साथ रहते हैं। इस दौरान ‘अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो… भजन पर श्रद्धालु झूम उठे परीक्षित मोक्ष: कर्म और वैराग्य का महत्व कथा के अंतिम चरण में पं. श्रीहरिकृष्ण जी महाराज ने परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाई। उन्होंने राजा परीक्षित को मिले शाप और उसके बाद उनके द्वारा भागवत श्रवण की महत्ता का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार शुकदेव जी महाराज ने सात दिन में राजा परीक्षित को भागवत कथा का श्रवण कराकर उन्हें मोक्ष का मार्ग दिखाया। महाराज श्री ने कहा, “कर्म, वैराग्य और भक्ति के माध्यम से ही मनुष्य जीवन के बंधनों से मुक्त हो सकता है। यह कथा बताती है कि अंत समय में भगवान का स्मरण ही जीव की परम गति है।समापन और महाप्रसाद कथा के सफल आयोजन के लिए स्वर्गीय नरेश वर्मा के परिजनों ने कथावाचक पं. श्रीहरिकृष्ण जी महाराज का आभार व्यक्त किया। कथा पंडाल में सात दिनों तक हजारों भक्तों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ कमाया। समापन अवसर पर विशाल भंडारे (महाप्रसाद) का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। कथा के दौरान गाए गए भजनों पर भक्तों ने खूब तालियां बजाईं और नृत्य भी किया।







