
सावंददाता अंशु सोनी पेण्ड्रा : आज के एआई और मोबाईल के दौर में जब बच्चे संस्कृति, संस्कार और परंपरा की ओर रुचि के साथ आगे बढ़ते हैं तो भारतीय संस्कृति और परंपरा के संरक्षण कर मार्ग अपने आप दृढ़ हो जाता है। बच्चों को बचपन से ही संस्कार देना और कला संस्कृति के प्रति रुचि जागृत करना कितना महत्वपूर्ण हो जाता है इस बात को सिद्ध किया है गौरेला के धनौली निवासी सूर्यकांत मिश्रा और दीक्षा मिश्रा की पाँच वर्षीय सुपुत्री साध्या मिश्रा ने। जिस उम्र में बच्चे अपनी चाल संभालकर चलना सीखते हैं उस उम्र में अपने पैरों की थिरकन और चेहरे के हावभाव से साध्या मिश्रा ने लोगों का मन मोह लिया है।उत्तरप्रदेश के मथुरा में आयोजित ब्रज रस अंतरराष्ट्रीय श्री कृष्ण कला सांस्कृतिक महोत्सव के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय नृत्य प्रतियोगिता में पाँच वर्षीय साध्या मिश्रा ने शास्त्रीय शैली में कुचिपुड़ी नृत्य की ऐसी प्रस्तुति दी कि दर्शक दीर्घा पर बैठे दर्शकों ने पूरी प्रस्तुति के दौरान तालियों के साथ लगातार नन्हीं सी बच्ची का उत्साहवर्धन किया। निर्णायक मंडल ने भी साध्या मिश्रा की भूरि-भूरि प्रसंशा करते हुए उसके चेहरे के हावभाव और पैरों की थाप पर मंत्रमुग्ध हो गये साथ ही उसके उज्जवल भविष्य के लिए आश्वस्त होते हुए शुभकामनाएँ दीं। विभिन्न स्तर पर आयोजित नृत्य महोत्सव में साध्या मिश्रा ने अपने आयु वर्ग सब जूनियर कैटेगरी में देश विदेश से आए कई प्रतिभागियों को पछाड़ते हुए प्रथम स्थान अर्जित किया। इससे पूर्व साध्या मिश्रा ने दुर्ग छत्तीसगढ़ में आयोजित प्रसिद्ध नृत्य महोत्सव देश राग में भी प्रतिभागिता करते हुए भरतनाट्यम् की प्रस्तुति देते हुए प्रथम स्थान अर्जित किया था। इस बार प्रदेश से बाहर उत्तरप्रदेश के मथुरा में साध्या मिश्रा ने पुनः प्रथम स्थान प्राप्त कर शास्त्रीय नृत्य के प्रति अपनी रुचि और साधना का प्रमाण दिया है। साध्या की इस उपलब्धि पर उसके माता पिता दीक्षा सूर्यकांत मिश्रा सहित दादा दादी नारायण मिश्रा गोमती मिश्रा, साध्या के मामा एवं छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के जिला समन्वयक व कवि आशुतोष आनंद दुबे सहित पूरे परिवार ने प्रसन्नता के साथ उसके उज्जवल भविष्य की कामना की है।







