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करवा चौथ: सुहाग की सलामती और दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत

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हिरमी- रावन: देश भर में विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना के लिए रखा जाने वाला करवा चौथ का पारंपरिक पर्व आज उत्साह और भक्ति के साथ मनाया गया। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है।दिन भर रहा निर्जला उपवास इस पावन अवसर पर, सुहागिन महिलाओं ने सूर्य उदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला (बिना पानी) उपवास रखा। सुबह से ही विभिन्न शहरों और कस्बों में पूजा-पाठ और व्रत की कहानियाँ सुनने के लिए महिलाओं का समूह इकट्ठा होने लगा महिलाओं ने पारंपरिक परिधान, विशेषकर सोलह श्रृंगार करके, पूजा की तैयारी की।शाम को चंद्र दर्शन के बाद खोला व्रत lअचानक मौषम खराबी के कारण चन्द्र दर्शन थोढी देर रात में हुई तब तक व्रती महिलाओ इन्तजार करती रहीlव्रत का समापन शाम को चंद्रमा के दर्शन और विधिवत पूजा के बाद हुआ। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद, महिलाओं ने छलनी में पहले चंद्रमा के दर्शन किए और फिर पति का चेहरा देखा। इसके बाद, पति के हाथों से पानी पीकर और मिठाई खाकर उन्होंने अपना उपवास तोड़ा।कई शहरों में, इस पर्व को मनाने के लिए सामुदायिक कार्यक्रम और मेले भी आयोजित किए गए, जिससे इस त्योहार की रौनक और बढ़ गई। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि पति-पत्नी के प्रेम और अटूट रिश्ते को भी दर्शाता है। दिलेश्वर मढरिया ने व्रती महिलाओ को सम्मान करते हुये कहा भारतीय नारी के समर्पण, सहजता, त्याग, महानता एवं पति परायणता को व्यक्त करने का पर्व ही करवा चौथ है। दिन भर स्वयं भूखा प्यासा रहकर रात्रि को जब मांगने का अवसर आया तो अपने पति देव के मंगलमय, सुखमय और दीर्घायु जीवन की ही याचना करना, यह एक नारी का त्याग और समर्पण ही है। नारी के त्याग और परिवार के प्रति समर्पण को इसी बात से देखा जा सकता है, कि उसे जब भी और जहाँ भी माँगने का अवसर मिला उसने अपने लिए कभी भी कुछ न माँगकर पति के लिए, संतति के लिए अथवा अपने पूरे परिवार के लिए ही कुछ याचना की है। वो भगवान से भी माँगेगी तो केवल अपने परिवार के लिए ही कोई माँग करेगी।पुरूषों को भी इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जो नारी आपके लिए इतना कष्ट सहती है, उसे और कष्ट न दिया जाए। जो नारी आपके लिए समर्पित है, उसको और संतप्त न किया जाए। जो नारी प्राणों से बढ़कर आपका सम्मान करती है, जीवन भर उसके सम्मान की रक्षा का प्रण भी लिया जाये।

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