
सावंददाता अंशु सोनी गड्ढों और जलजमाव से रोज़ खेली जा रही जिंदगी, लीपापोती से जनता परेशान – ठेकेदार और अफसर जवाब दें!गौरेला-पेंड्रा- मरवाही। जिले की मुख्य सड़कें अब मौत का जाल बन चुकी हैं। जगह-जगह गड्ढे, जलभराव और उखड़ा डामर रोज़ाना हादसों को न्योता दे रहा है। सवाल यह है कि करोड़ों का बजट खर्च करने के बाद भी सड़कें कुछ महीनों से ज़्यादा टिक क्यों नहीं पातीं? और अगर टिकती नहीं तो जिम्मेदार अफसरों और ठेकेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती?लाइफ लाइन रोड पर जान खतरे मेंपेंड्रा–गौरेला मुख्य मार्ग जिसे जिले की ‘लाइफ लाइन’ कहा जाता है, आज खंडहर बन चुका है। इसी सड़क से जिला अस्पताल, न्यायालय, कलेक्टर कार्यालय और रेलवे स्टेशन तक हज़ारों लोग रोज़ाना सफर करते हैं। सोचने वाली बात यह है कि जिस सड़क से होकर रोज़ाना जिले के सबसे बड़े अधिकारी कलेक्टर और जिला अस्पताल तक मरीजों की एंबुलेंस गुजरती हैं, उसी सड़क पर आम जनता को मौत से खेलकर गुजरना पड़ रहा है।मिट्टी-मुरुम से लीपापोतीमरम्मत के नाम पर विभाग अब गड्ढों को मिट्टी और मुरुम डालकर भर रहा है। यह स्थायी समाधान नहीं बल्कि अस्थायी जुगाड़ है। गर्मी में धूल उड़ रही है और बारिश में यही गड्ढे कीचड़ में बदल रहे हैं। सवाल यह है कि जब ठेकेदार को भुगतान किया गया है तो विभाग खुद कुदाल लेकर सड़क क्यों पाट रहा है?जनता के पैसे का हिसाब कौन देगा? करोड़ों की लागत से बनी सड़कें 2-3 साल भी नहीं टिकतीं। हर बार मरम्मत के नाम पर औपचारिकता कर दी जाती है। दुर्घटनाओं का जिम्मेदार कौन होगा – विभाग, ठेकेदार या शासन?






