Home Breaking डोंगरगढ़ में शराबबंदी कागजों तक सीमित, गली-गली बिक रही अवैध शराब की...

डोंगरगढ़ में शराबबंदी कागजों तक सीमित, गली-गली बिक रही अवैध शराब की बोतलें

61
0



डोंगरगढ़: मां बमलेश्वरी की नगरी डोंगरगढ़ को तीर्थ स्थल की गरिमा बनाए रखने के लिए सरकार ने शराबबंदी क्षेत्र घोषित किया था. लेकिन यह घोषणा केवल कागजी मामूम पड़ती है. क्योंकि शराबबंदी की घोषणा होते ही शहर के गली-गली तक अवैध शराब बिक्री की जा रही है. इससे प्रशासन के कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं.बता दें, डोंगरगढ़ में शराबबंदी के नाम पर सरकारी दुकानें बंद हुईं और उसी दिन से शहर की गली-गली में अवैध शराब का साम्राज्य खड़ा हो गया. होटल-ढाबों के बोर्ड सिर्फ दिखावे के लिए हैं, असल में वहां से बोतलें परोसी जाती हैं. इनके अलावा कई ऐसे कोचिया है जो ऑनलाइन ऑर्डर लेकर जगह पर डिलीवरी भी कर देते हैं.अवैध शराब के कारोबार को मिल रहा पुलिस संरक्षण!वहीं लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने अपनी पड़ताल में पाया कि अवैध शराब बिक्री का यह धंधा पुलिस संरक्षण के बिना संभव ही नहीं है. जिन इलाकों में हर रात शराब की बोतलें बिकती हैं, उनके पास ही पुलिस थाना है और पुलिस की गस्ती भी लगातार होती है. सूत्रों के अनुसार, हर अवैध ठेके से महीने का तय हिस्सा सीधे पुलिस और विभागीय अफसरों तक पहुंचता है.

यही वजह है कि बड़े शराब माफिया वर्षों से पकड़ से बाहर हैं, जबकि छोटे कोचियों पर छिटपुट कार्रवाई कर आंकड़े चमकाए जाते हैं.राजनांदगांव आबकारी विभाग के प्रभारी सहायक आयुक्त अभिषेक तिवारी ने दावा किया कि “पिछले छह महीनों में 200 से ज्यादा प्रकरण दर्ज किए गए हैं और अभियान लगातार जारी है. ”लेकिन सवाल उठता है कि अगर दो सौ से अधिक मामले दर्ज हुए, तो शराब बिकनी बंद क्यों नहीं हुई? असलियत यह है कि प्रकरण छोटे दुकानदारों और कोचियाओं पर बनाए जाते हैं, जबकि असली सरगना बेखौफ अपना खेल खेल रहे हैं. शहर की निर्मला बाई जैसी महिलाएं कहती हैं “हर मोहल्ले में शराब बिक रही है, बच्चे तक बिगड़ रहे हैं, महिलाओं का सड़क पर निकलना मुश्किल है.”विधायक हर्षिता बघेल ने सरकार पर कसा तंज वहीं विधायक हर्षिता बघेल ने भी इस मामले को लेकर सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि- “आप ‘स्वस्थ नारी-सशक्त परिवार’ की बात करते हैं, लेकिन असल में महिलाएं पीड़ित हैं. 768 शासकीय दुकानें खोलने के बाद भी अवैध शराब क्यों फल-फूल रही है? साफ है कि पुलिस-प्रशासन संरक्षण दे रहा है और मोटी वसूली कर रहा है.”राजनीतिक स्टंट या असली जंग?सत्ता बदलने के साथ विरोध करने वालों की पार्टियां बदल गईं. कांग्रेस के समय भाजपा प्रदर्शन कर रही थी, अब भाजपा की सरकार में कांग्रेस सड़कों पर है. लेकिन फिर भी अवैध शराब का कारोबार बदस्तूर जारी है. डोंगरगढ़ की यह सच्चाई बताती है कि शराबबंदी महज एक कागजी ऐलान है. असल में यहां धर्मनगरी की आड़ में बोतल का कारोबार है, जहां आस्था बिकती है और जिम्मेदार आंख मूंदकर ‘हिस्सेदारी’ में मस्त हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here