
पेंड्रा से बड़ी खबर: पेंड्रा नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 15 से भाजपा पार्षद गणेश जायसवाल ने आत्महत्या का प्रयास किया है। घटना ने तब तूल पकड़ा जब जायसवाल द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में पुलिस प्रशासन और ससुराल पक्ष पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।बताया जा रहा है कि पार्षद और उनकी पत्नी प्रियंका जायसवाल के बीच लंबे समय से घरेलू विवाद चल रहा था। पहले भी इन दोनों के बीच विवाद हो चुका था, जिसका समाधान पुलिस और न्यायालय के बीच हुआ था। लेकिन हाल ही में एक बार फिर विवाद ने उग्र रूप ले लिया, जब प्रियंका जायसवाल ने अपने पति पर मारपीट और हत्या के प्रयास का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई।सुसाइड नोट्स में बड़ा खुलासा गणेश जायसवाल ने आत्महत्या की कोशिश से पहले 15 पन्नों का विस्तृत पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि कैसे ससुराल पक्ष, राजनीतिक विरोधी और कुछ पुलिस अधिकारी मिलकर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे। उन्होंने यह भी लिखा कि किस तरह उनकी पत्नी की नौकरी फर्जी दस्तावेजों के जरिए लगी थी – जिसमें फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र और फर्जी परीक्षा परिणाम शामिल थे।राजनीतिक साजिश का आरोप सुसाइड नोट्स में कांग्रेस नेता पंकज तिवारी, भाजपा नेता रितेश फरमानिया, नगर पालिका अध्यक्ष राकेश जालान सहित कई अन्य स्थानीय नेताओं के नाम भी सामने आए हैं। जायसवाल का आरोप है कि ये लोग निजी और राजनीतिक स्वार्थ के चलते उनके खिलाफ साजिश रच रहे थे।FIR पर सवाल, पुलिस पर वसूली के आरोप जायसवाल ने पुलिस प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई करने और वसूली करने के भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि बिना समुचित जांच के ही उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया। इसके अलावा, उनकी मुँह बोली बहन दुर्गा जैतवार द्वारा भी उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया गया, जो कि पहले से ही पत्नी की एफआईआर में गवाह के रूप में शामिल थीं।क्या पुलिसिया रवैए पर उठने लगे हैं सवाल?इस पूरी घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या बिना जांच के एफआईआर दर्ज करना और एकतरफा कार्यवाही करना किसी को इस हद तक नहीं ले जाता कि वह आत्महत्या जैसा कदम उठाए?सवाल यही है:जब कोई व्यक्ति मदद की उम्मीद में सिस्टम की ओर देखता है, तो क्या सिस्टम उसे न्याय देता है या और अधिक टूटने पर मजबूर करता है? क्या पुलिस और प्रशासन को ऐसे मामलों में और अधिक संवेदनशील नहीं होना चाहिए?





