
सुशासन तिहार में जनता के आवेदनो से सरकार की नाकामी सामने आई, बेरोजगार युवक वित्त मंत्री को हटाने आवेदन देने को मजबूर
रायपुर: प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि साय सरकार किस बात का सुशासन तिहार मना रही है। राज्य में किसानों को जूते से पीटा जा रहा है सिर्फ इसलिए उसने मिल मालिक के अवैध कब्जा के खिलाफ आवाज उठाई थी। युवाओं को रोजगार के लिये अंगारो में चलना पड़ रहा है। राज्य की कानून व्यवस्था समाप्त हो गयी है। मासूम बच्ची के साथ दुराचार करके हत्या कर दी जाती है। राज्य में रोज हत्या, डकैती, बलत्कार हो रहा है। भाजपा की डबल इंजन की सरकार में धान घोटाला हो जाता है। डबल इंजन की सरकार में भारत माला घोटाला हो जाता है। आत्ममुग्ध सरकार सुशासन तिहार मना रही है। भाजपा सरकार के द्वारा मनाये गये सुशासन तिहार से सरकार की नाकामी सामने आई है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सुशासन तिहार में जनता के द्वारा दिये जाने वाले आवेदनों की अंतिम तिथि पूरी हो गयी। जनता ने सरकार को जो आवेदन दिया है, उससे सरकार का दागदार चहेरा सामने आया है। सुशासन का दंभ भरने वाली साय सरकार के राज में आम आदमी छोटे-छोटे कामां के लिये सरकारी दफ्तरों का चक्कर काटने को मजबूर है। पटवारी कार्यालय से लेकर तहसील दफ्तरों में लोगो के नामांतरण, फौत, त्रुटि सुधार के लाखो आवेदन लंबित है, लोगों के काम नहीं हो रहे, आम आदमी सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर है। बेहद दुर्भाग्यजनक है कि एक सप्ताह में लाखो लोगो ने सरकार के पास सड़क, नाली, बिजली, पानी जैसे रोजमर्रा के कामो के लिये आवेदन दिया है। महिलाये शराब दुकानों से परेशान होकर हटाने के लिये आवेदन दिया है। साय सरकार लोगो के मूलभूत काम को भी नहीं कर पा रही है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सुशासन तिहार में बेरोजगार युवको का साय सरकार के प्रति गुस्सा भी खुलकर सामने आया है। एक बेरोजगार युवक ने तो वित्त मंत्री को हटाने की मांग का आवेदन सौंपा है। मुख्यमंत्री इस बेरोजगार युवक की मांग पर वित्त मंत्री ओपी चौधरी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करे। विधानसभा चुनाव के समय 1 लाख नौकरी का वादा भाजपा ने किया था। सरकार में आने के बाद भाजपा सरकार ने सरकारी नौकरी की भर्तियां नहीं निकाला, शिक्षा विभाग में पहले 35000 शिक्षकों फिर 20000 शिक्षकों की भर्ती की घोषणा करने के बाद सवा साल में एक भी शिक्षक की भर्ती नहीं किया। इसके विपरीत 2897 नियमित शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया।





