
सिर्फ एक ही ढाबे पर बार-बार छापा, बाकी को खुला संरक्षण क्यों?
आबकारी विभाग और पुलिस की मिलीभगत उजागर!





‘सेटिंग’ वालों की बल्ले-बल्ले, ईमानदार फंस रहा?
रायगढ़: जिले के क्या धरमजयगढ़ में अवैध शराब माफिया और प्रशासन के बीच गुप्त समझौता हो चुका है? अगर नहीं, तो फिर यह कैसा न्याय है कि पूरे इलाके में अवैध शराब धड़ल्ले से बिक रही है, लेकिन छापेमारी सिर्फ एक ही ढाबे पर बार-बार की जाती है? क्या बाकी ढाबों पर कोई विशेष सुरक्षा कवच है, जो उन्हें बचाए रखता है? या फिर सच यह है कि जिसने ‘सेटिंग’ कर ली, वह चैन से व्यापार कर रहा है, और जिसने नहीं की, वह प्रशासन के ‘तमाशे’ का शिकार बन रहा है?
यह धंधा है या ‘सेटिंग-बाजी’ का खेल? :धरमजयगढ़ के ढाबों में अवैध शराब बिकना कोई नई बात नहीं है। लेकिन सवाल उठता है कि जब प्रशासन कार्रवाई करता है, तो सिर्फ एक ही ढाबा बार-बार क्यों टारगेट होता है? क्या बाकी ढाबों को किसी बड़े नेता, अफसर, या खुद विभागीय अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है? अगर ऐसा नहीं है, तो बाकी ढाबों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती?
रिकॉर्ड चेक कर लो, ‘खेल’ समझ आ जाएगा :अगर आबकारी विभाग और पुलिस के रिकॉर्ड खंगाले जाएं, तो साफ हो जाएगा कि जब भी धरमजयगढ़ में अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तो सिर्फ रायगढ़ रोड के एक ही ढाबे को निशाना बनाया जाता है। क्या यह सिर्फ एक संयोग है या फिर ‘मैनेजमेंट’ का नतीजा?
क्या प्रशासन अपनी ‘ईमानदारी’ साबित करेगा? : अगर प्रशासन सच में निष्पक्ष है, तो क्या वह उन बाकी ढाबों पर भी छापेमारी करेगा, जहां रोजाना अवैध शराब की बिक्री होती है? या फिर यह खेल सिर्फ कमजोर को कुचलने और ‘सेटिंग’ करने वालों को बचाने के लिए चल रहा है?
जनता का सवाल— बाकी ढाबों को ‘अभयदान’ किसने दिया? :धरमजयगढ़ की जनता जानना चाहती है कि जब पूरा इलाका जानता है कि कहां-कहां अवैध शराब बिक रही है, तो प्रशासन क्यों नहीं देख पा रहा? क्या अधिकारियों की आंखों पर ‘सेटिंग’ की पट्टी बंधी है?धरमजयगढ़ की जनता अब जवाब चाहती है! प्रशासन को बताना होगा कि ‘सेटिंग-बाजी’ में कौन-कौन शामिल है? अगर बाकी ढाबों पर भी कार्रवाई नहीं होती, तो यह साफ हो जाएगा कि सिस्टम में सबकुछ बिकाऊ है और न्याय सिर्फ एक ‘धंधा’ बन चुका है!
