बलौदाबाजार : छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के छोटे से गांव कोसमंदी में जन्मे और पले-बढ़े रविशंकर वर्मा ने दिखा दिया कि बड़े सपने देखने के लिए बड़े शहरों में पैदा होना जरूरी नहीं। सरकारी स्कूल से अपनी शिक्षा की शुरुआत करने वाले इस साधारण किसान परिवार के बेटे ने अपनी कड़ी मेहनत, लगन और दृढ़ निश्चय से छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC 2023) की परीक्षा में टॉप कर पूरे राज्य का गौरव बढ़ाया है।गांव की गलियों से निकलकर बड़े सपनों तक,,,रविशंकर वर्मा के पिता बालकृष्ण वर्मा एक किसान हैं, और उनकी मां योगेश्वरी वर्मा एक गृहणी। परिवार में सबसे छोटे रविशंकर ने अपनी शुरुआती शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में पूरी की। आठवीं तक गांव में ही पढ़ाई की और उसके बाद रायपुर के कालीबाड़ी स्कूल से 12वीं पास की। लेकिन यहां तक का सफर आसान नहीं था। गांव में सुविधाओं का अभाव था, संसाधन सीमित थे, लेकिन रविशंकर का सपना बड़ा था।इंजीनियरिंग से प्रशासन तक का सफर,,,12वीं के बाद उन्होंने रायपुर के प्रतिष्ठित NIT में प्रवेश लिया और इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच से बीटेक की डिग्री हासिल की। 2012 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की। अच्छी तनख्वाह और स्थिर करियर होने के बावजूद रविशंकर का मन किसी और दिशा में था। वे समाज के लिए कुछ करना चाहते थे, और यही कारण था कि 2017 में उन्होंने प्रशासनिक सेवा में जाने का निर्णय लिया।संघर्ष, असफलता और जीत का जज्बा CGPSC की तैयारी की शुरुआत करना उनके लिए आसान नहीं था। पांच साल तक दिन-रात मेहनत की, असफलताएं देखीं, लेकिन उनका इरादा अडिग रहा। पांचवें प्रयास में, 2023 में, उन्होंने पूरे राज्य में पहला स्थान हासिल कर दिखा दिया कि मेहनत का फल जरूर मिलता है। इससे पहले, 2021 में, उन्होंने रोजगार अधिकारी के रूप में चयन पाकर अपनी योग्यता साबित की थी और वर्तमान में वे बैकुंठपुर में इसी पद पर कार्यरत थे।परिवार और गांव का गर्वरविशंकर की सफलता के बाद उनका गांव कोसमंदी और पूरा बलौदाबाजार जिला खुशी से झूम उठा। उनके पिता ने कहा, “हमने सोचा भी नहीं था कि हमारा बेटा इतना बड़ा काम करेगा। उसकी मेहनत और संकल्प ने हमें गर्व महसूस कराया है।” मां योगेश्वरी वर्मा के लिए यह पल किसी सपने से कम नहीं प्रेरणा की मिसाल,,,रविशंकर वर्मा की कहानी उन युवाओं के लिए एक मिसाल है जो सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। उनका यह सफर यह साबित करता है कि संघर्ष का सामना करते हुए भी, यदि इरादा मजबूत हो और मेहनत सच्ची हो, तो किसी भी लक्ष्य को पाया जा सकता है।रविशंकर ने न केवल अपने परिवार और गांव का नाम रोशन किया है, बल्कि वे उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं जो अपने सपनों को साकार करने की कोशिश में जुटे हैं। उनकी यह कहानी एक सबक है कि सफलता पाने के लिए सुविधाओं की नहीं, मेहनत और हौसले की जरूरत होती है।