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दीपावली पर्व पर सुआ नृत्य की परंपरा कायम, घर-घर पहुंच रही बालिकाओं की टोलियां

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हिरमी -रावन: सहित अंचल के हिरमी, बिटकुली, सकलोर, , मोहरा,रावन, बरडीह, परसवानी, सहित कई गांवों में छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व सांस्कृतिक सुआ गीत नृत्य की धूम मची हुई है। सप्ताह भर पूर्व से सुआ नर्तक दल नृत्य और मनमोहक गीत से आशीष देने पहुंच रहे हैं। इन दिनों छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोगों की सुआ नर्तक टोली गांव व बड़े कस्बा में लोगों के घर आंगन, दुकानों में नृत्य कर आशीष देती नजर आ रही हैं। सुआ नृत्य छत्तीसगढ़ की परंपराओं में से एक महत्वपूर्ण नृत्य है। पर्व विशेष को लेकर छोटी-छोटी बालिकाएं साड़ी पहनकर सुआा नृत्य करने पहुंच रही हैं। दिलेश्वर मढ़रिया ने बताया आस-पास गांव से आ रही सुआ नृत्य की टोली बैंड बाजा पेटी के साथ पहुंच रही हैं। नृत्य देखने के लिए बच्चों की भीड़ एकत्रित होती है।सुआ नृत्य के लिए बच्चियों के अलावा महिलाओं का समूह भी हिस्सा ले रही है। गीत गाकर और ताली बजाकर नृत्य करती हैं। गांवों में यह प्रथा अब भी कायम है। महिलाएं गांव के देवी मंदिर, कुल देवी व धार्मिक स्थल, घर के सामने और आंगन में नृत्य प्रस्तुत करती हैं। त्योहार की खुशी जाहिर करने की यह एक परंपरा है। जिसमें लोग अपनी क्षमतानुसार रुपए, अनाज, उपहार देते हैं, जिसके बाद ये टोली उन्हें गीतों के माध्यम से आशीष देती हैं।

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