हिर्मी सुहेला: देवी स्कंदमाता के हैं कई नाम: मान्यता है कि भगवती के स्कंद स्वरूप की आराधना करने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की का मार्ग भी आसान हो जाता है. माना जाता है कि सच्चे मन से भक्ति करने से संतान प्राप्ति भी होती है. मां के इस स्वरूप को गौरी, महेश्वरी, पार्वती और उमा के नाम से भी जाना जाता हैl नवरात्रि की पंचमी के अवसर पर सोमवार को देवी मंदिरों में माता का विशेष श्रृंगार हुआ। मंदिरों में इसकी तैयारी पहले से ही कर ली गई थी। महामाया मंदिर के साथ ही ग्रामीण अंचलों के देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा आस्था के दीप ज्योति कलश पूरे विधि-विधान से प्रज्जवलित किए गए हैं। महिलाओं ने व्रत रखकर जहां अपने सुहाग व परिवार की सुख समृद्धि की कामना की वही देर रात तक मां के जयकारे गूंजते रहे। मंदिर में छत्तीसगढ़ एवं अलग-अलग जिले से आकर दीप ज्योति कलश प्रज्जवलित किए गए है।गायत्री मंदिर के पुजारी श्यामसुंदर ने बताया कि चैत्र नवरात्र पर्व के पंचमी में माता की विशेष अराधना हुई देवी मंदिरों में माता का श्रृंगार किया गया। श्रद्धालु माता को चुनरी व श्रृंगार सामग्री भेंट किए। वहीं रात भर ढोल, मंजिरा व मृदंग के साथ-साथ देवी जसगीत गूंजते रहे। वही पंचमी में भक्तो के लिए विशेष भंडारा का भी आयोजन किया गया। पंचमी से पदयात्रियों की संख्या भी बढ़ गई है। अधिकांश श्रद्धालु पंचमी के दिन से पदयात्रा की शुरूआत करते है। वहीं शीतला मंदिर के पुजारी ने बताया कि पंचमी को मां दुर्गा के पांचवे रूप स्कंदमाता की पूजा की गई। इस दिन स्कंदमाता की उपासना व पूजा-अर्चना के लिए देवी मंदिरों मे भक्तों की भीड़ उमड़ी। उन्होंने बताया कि मोक्ष का द्वार खोलने वाली स्कंदमाता परम सुखदायी है। यह माता अपने भक्तों की समस्त कामनाओं की पूर्ति करती है। माता के इस स्कंद कुमार को कार्तिकेय के रूप में भी जाना जाता है। इनका वाहन मयूर है। अत: इन्हे मयूर वाहन के नाम से भी जाना जाता है। इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण दुर्गा के इस पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है। पुजारी का कहना है कि नवरात्रि में पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा अर्चना करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है। महिलाओं ने व्रत रखकर की सुख-समृद्धि की कामना पंचमी पर चंडी माता को चढ़ाने के लिए चुनरी व पूजा सामग्री खरीदता।