शासन जिले को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए अभियान चला रही,स्वच्छता पखवाड़े मना रही है,वही शासकीय स्कूल का यह नजारा है कि यहां अध्ययनरत लगभग 250 बालिकाएं खुले में शौच करने के लिए मजबूर है
न्यूज डेस्क मध्य प्रदेश : शासन जिले को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए अभियान चला रही है। स्वच्छता पखवाड़े मना रही है। वही शासकीय स्कूल का यह नजारा है कि यहां अध्ययनरत लगभग 250 बालिकाएं खुले में शौच करने के लिए मजबूर है। बालिकाएं जान जोखिम में डालकर शौच के लिए नदी के किनारे पर जाने को मजबूर है। तो वही जिम्मेदार है कि फंड और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की कमी बताकर पल्ला झाड़ रहे है।
दरअसल पूरा मामला राणापुर क्षेत्र की कुंदनपुर स्थित कन्या माध्यमिक विद्यालय का है। यहां पर लगभग 250 बालिकाएं अध्यनरत है। इन बालिकाओं के शैक्षणिक भविष्य को लेकर शासन कितना सजग है। वह विद्यालय में स्थित शौचालय की स्थिति से पता चलता है। शौच के लिए बनाए गए टॉयलेट जीर्ण—शीर्ण अवस्था में है। यहां ना तो पानी की व्यवस्था है ना सफाई की। टॉयलेट के चारों ओर बड़ी घास उगी है। जिसमें सांप, बिच्छू जैसे जानवर निकल रहे हैं। शाला में अध्यनरत बालिकाए जीर्ण—शीर्ण टॉयलेट में संभावित खतरों से बचने के लिए शाला के समीप स्थित नदी के तट पर शौच के लिए जा रही है। छात्राओं के लिए दोनों और जान का खतरा बना हुआ है। विद्यालय के प्रधान अध्यापक नरेंद्र सिंह कुंडल ने बताया कि एक शाला एक परिसर होने के कारण फंड संकुल प्राचार्य के खाते में आता है। विगत 2 वर्षों से फंड नहीं आ रहा है। फंड नहीं आने के कारण और अव्यवस्था उत्पन्न हो रही है। प्रधान अध्यापक ने कैमरे पर माना कि छात्राएं शौच के लिए नदी के तट पर जा रही है।इधर बालिका जिस रास्ते से शौच के लिए नदी तक पहुंच रही थी। अब उसे रास्ते पर विद्यालय प्रबंधन द्वारा बाउंड्रीवॉल का निर्माण करवाया जा रहा है। बाउंड्रीवॉल बन जाने के बाद बालिकाओं को शौच के लिए जाने में काफी परेशानी आने वाली है। विद्यालय में अध्यनरत बालिकाओं ने मुख्यमंत्री मोहन यादव और कलेक्टर नेहा मीना से शाला परिसर में ही व्यवस्थित टॉयलेट निर्माण की मांग रखी है।