अनिल उपाध्याय देवास/MP : देवास जिले के खातेगांव तहसील में नर्मदा नदी के किनारे बसा एक छोटा सा गांव है तुरनाल। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम ने अपने पिता ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका का पिंडदान यहीं किया था। जिसका उल्लेख नर्मदा पुराण में भी मिलता है।नर्मदा के उत्तर तट पर नेमावर से पूर्व दिशा की ओर 6 किमी दूर नर्मदा-गोनी का संगम स्थल है तुरनाल। तुरनाल गांव की आबादी महज 700 के करीब है। मान्यता है कि यह गांव बिहार के प्रसिद्ध पितृ तीर्थ गयाजी के समान है जो फल पितरों के मोक्ष के निमित्त गयाजी में करने पर फल प्राप्त होता है वैसा ही फल इस स्थान पर पितृ निमित्त कर्म करने पर सहज ही प्राप्त हो जाता है।कुछ वर्ष पहले राजस्थान से आए महात्मा परशुराम बाबा ने गांव में मंदिर निर्माण करवाया है। जिसमें भगवान परशुराम की आकर्षक खड़ी प्रतिमा व शिवलिंग की स्थापना की गई है।
शिला पर आज भी बने हैं पांच पिंड नर्मदा पुराण के अनुसार उक्त स्थान नर्मदा तट पर भगवान परशुराम ने अपने पिता जमदग्नि ऋषि व माता रेणुका के देवलोकगमन के बाद पिंड प्रदान कर तर्पण किया था। वे पांच पिंड आज भी यहां शिला पर बने हैं। जिसे पांच लड्डू के नाम से जाना जाता है। यही कारण है कि यहां अनेक प्रांतों से श्राद्ध पक्ष में लोग तर्पण करने पहुंचते है। 12 महीने लोग इस स्थान पर पितृ दोष निवारण करने आते रहते हैं।
उपेक्षा का शिकार प्रचार-प्रसार के अभाव में यह स्थान उतना प्रचलित नहीं हो पाया, जितना इसका महत्व है। ना ही इस स्थान पर विकास कार्य हो पाए। ग्रामीणों की मानें तो इस पौराणिक महत्व के स्थान पर कभी प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया, यहां पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। पहुंच मार्ग खस्ताहाल है, बारिश के दिनों में मुख्य मार्ग से भी संपर्क कट जाता है।