हिरमी – रावन: हिरमी अंचलों में मूर्ति विसर्जन के साथ 11 दिन तक चलने वाला प्रसिद्ध गणेशोत्सव श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मंगलवार को संपन्न हुआ। पूजा के समापन के दिन विभिन्न पूजा समितियों के अलावा घरों और मोहल्लों से धूम धाम और गाजे बाजे के साथ श्रद्धालुओं ने भगवान गणेश की प्रतिमा विसर्जित करने के लिए तालाबों, नदियों का रूख किया।प्राकृतिक जल निकायों को प्रदूषण से बचाने के लिए, कई नागरिक निकायों ने विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाब भी बनाए हैं। देश भर में 07 सितंबर को गणेश चतुर्थी की शुरूआत हुई थी और यह त्यौहार सोमवार को ‘अनंत चतुर्दशी’ पर संपूर्ण हुआ। गणेश चतुर्थी का पर्व भक्ति और उल्लास से मनाया जाता है. गणपति बप्पा के 11 दिनों तक घर में पूजा अर्चना करने के बाद, अंतिम दिन उनकी विदाई का समय होता है, जिसे गणेश विसर्जन कहते हैं. हिन्दू धर्म में गणेश विसर्जन का बहुत धार्मिक महत्व माना जाता है. मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के उत्सव पर गणपति बप्पा अपने भक्तों के घर आकर उनको आशीर्वाद देते हैं और फिर एक साल के लिए विदा हो जाते हैं. विसर्जन के दौरान गणपति बप्पा को जल में विसर्जित करके उनको खुशी और उल्लास से फिर से अगले साल आने के लिए विदा किया
अगले वर्ष के लिए आशीर्वाद विसर्जन के समय गणपति बप्पा से अगले वर्ष फिर से आने का और आशीर्वाद मांगा गया | इसलिए विसर्जन से पहले गणपति बप्पा के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद की कामना किया गया |गणेश विसर्जन की परंपरा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय उत्सव के समापन पर किया जाता है. यह सिर्फ एक रस्म नहीं है, बल्कि इसका गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है. दस दिनों तक घर में विराजमान गणपति बप्पा की पूजा अर्चना के बाद भक्त भावुकता के साथ गणपति बप्पा को विदा किया मान्यता है कि गणपति बप्पा अपने भक्तों के घर आकर दस दिन तक निवास करते हैं और फिर विदा हो जाते हैं. विसर्जन के माध्यम से उन्हें विदा किया जाता है. गणेश विसर्जन के दौरान लोग एक साथ आये और सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं. इसलिए इस त्योहार को प्यार और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है |