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परिवहन विभाग के संरक्षण में ट्रक बस मालिको से 3 हजार रु कीमत की जीपीएस सिस्टम का 13500 रु वसूला जा रहा

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जीपीएस के नाम पर लूट के लिए वाहनों में कम्पनी से लगकर आये जीपीएस सिस्टम को अमान्य कर फिटनेस नहीं दिया जाता

रायपुर: प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा की सरकार बनते ही परिवहन विभाग में वाहन मालिकों से जीपीएस के नाम से 3000 रु की जीपीएस सिस्टम का 13500 रु की अवैध वसूली शुरू हो गई है। वाहनों के फिटनेस और परमिट के नाम से परिवहन विभाग में वाहन मालिको से रोज लाखों रुपए की वसूली हो रही है। वाहनों के फिटनेस के लिए जीपीएस सिस्टम को अनिवार्य किया गया है जीपीएस नही होने पर वाहनों का फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाता है।कई वाहन मालिकों ने शिकायत की है कि जीपीएस सिस्टम लगाने वाली एजेंसी 3 हजार रु का 13500 रुपया लेने के बाद भी जीपीएस सिस्टम को वाहन में लगाते नहीं है न ही उसका पासवर्ड देते है सिर्फ वाहन में जीपीएस सिस्टम लगा होने का प्रमाण पत्र देते है और उसी प्रमाण पत्र को देखकर परिवहन विभाग फिटनेस का प्रमाण पत्र जारी कर रहा है। इस गोरख धंधा में परिवहन विभाग और जीपीएस लगाने वाली एजेंसी शामिल है ।इस काली कमाई के लिए वाहन निर्माता कम्पनी द्वारा लगाई गई जीपीएस सिस्टम को अमान्य कर अपनी एजेंसी से जीपीएस लगाने मजबूर किया जाता है।प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि 15 साल के भाजपा शासन काल के दौरान परिवहन विभाग काली कमाई का अड्डा बना था कई प्रकार के टोकन बनाकर वसूली की जाती थी एक बार और वही स्थिति निर्मित हो गई है। देश में छत्तीसगढ़ के अलावा किसी अन्य राज्य में जीपीएस सिस्टम वाहनों में नहीं लगाया जा रहा है केंद्रीय परिवहन मंत्री गडकरी के गृह राज्य महाराष्ट्र में भी जीपीएस सिस्टम अनिवार्य नहीं हुआ है छत्तीसगढ़ में ही लूट के लिए जीपीएस सिस्टम लगाने वाहन मालिकों को बाध्य किया जा रहा है।प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा सरकार के दौरान 2017-18 में जीपीएस सिस्टम को अनिवार्य किया गया था और वाहन मालिकों से वसूली की जा रही थी कांग्रेस की सरकार ने इस पर रोक लगाया था और एक बार फिर भाजपा की सरकार बनते ही वाहन मालिकों से अवैध कमाई करने के लिए वाहन मालिकों को प्रताड़ित कर जीपीएस सिस्टम लगवाया जा रहा है परिवहन विभाग को वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाना ही है तो उन्हें खुले बाजार में मिलने वाले सस्ते दरों में जीपीएस सिस्टम को लगाने की छूट देनी चाहिए और जिन एजेंसियों के साथ परिवहन विभाग ने जीपीएस सिस्टम लगाने का अनुबंध किया है उसे खत्म करना चाहिए।

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