क्या मंदिर बनने से रोजगार मिल जाएगा, कृपया पूरा पढ़े ?
न्यूज डेस्क छत्तीसगढ़: केदारनाथ, बद्रीनाथ, वृंदावन, बनारस, तिरुमला जैसे जगह के रोजगार का मुख्य केंद्र वहां स्थित देवालय ही है।
फूल-पत्ती, माला, प्रसाद को बेचकर जहाँ सैकड़ों अत्यंत गरीब लोग अपने परिवारों की जीविका चलाते हैंमंदिरे सिर्फ रोज़गार हीं नहीं देती अपितु आम लोगों के सेवा हेतु मंदिर ट्रस्ट विद्यालय, अस्पताल, वृद्धाश्रम, अनाथालय का भी निर्माण करवाती है, जिससे फायदा आम जनमानस को होता है।
आइए बताते हैं भारत के मंदिर करोड़ो लोगों को रोजगार कैसे देतें है…
1.धार्मिक पुस्तक बेचनें वालों को और उन्हें छापनें वालों को रोजगार देतें हैं।
2. माला बेचनें वालों को घंटी-शंख और पूजा का सामान बेचने वालों को रोजगार देतें हैं।
3. फूल वालों को माला बनानें और किसानों को रोजगार देतें हैं।4 मूर्तियां-चित्र बनानें और बेचनें वालों को रोजगार देतें हैं। 5 मंदिर प्रसाद बनानें और बेचनें वालों को रोजगार देतें हैं। 6रिक्शे वाले गरीब लोग जो कि धार्मिक स्थल तक श्रद्धालुओं को पहुंचाते हैं उन रिक्शा और आटो चालकों को रोजगार देतें हैं। 7 मंदिरों के किनारे जो गरीबों की छोटी-छोटी दुकानें होती है उन्हें भी रोजगार मिलता है। 8 मंदिरों के कारण अंगूठी-रत्न बेचनें वाले गरीबों का परिवार भी चलता है। 9 मंदिरों के कारण दिया बनानें और कलश बनानें वालों को भी तो रोजगार मिलता है। 10 मंदिरों से उन ६५,००० खच्चर वालों को रोजगार मिलता है जो कि श्रद्धालुओं को दुर्गम पहाड़ों पर प्रभु के द्वार तक ले जातें हैं। इस प्रकार से आम जनता को रोजगार मिलता है।