न्यूज डेस्क रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र का तीसरा दिन हंगामेदार रहा. सत्ता और विपक्ष के बीच कानून व्यवस्था के मुद्दे पर तीखे आरोप प्रत्यारोप हुए तो सदस्यों के बीच हंसी ठिठौली और कड़ी निंदा का दौर भी चला. आज के सत्र का समापन अश्लील सीडी कांड के जिक्र के साथ हुआ।सत्र की शुरूआत विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह के आसंदी ग्रहण करने के साथ हुई. संक्षिप्त प्रश्नकाल के बाद विपक्षी कांग्रेस ने कानून व्यवस्था के मुददे पर चर्चा कराने के लिए स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत किया. इस पर संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप ने विचार करने का आश्वासन देते हुए उसे विधानसभा अध्यक्ष की, ओर बढ़ा दिया. रमनसिंह ने व्यवस्था दी कि स्थगन ग्राहय है या अग्राहय, यह तय करने के पहले सदन में चर्चा होगी और दोपहर तीन बजे का वक्त चर्चा के लिए तय करते हुए भोजनावकाश तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.
कांग्रेस विधायकों ने कानून व्यवस्था पर सरकार को घेराभोजनावकाश के कानून व्यवस्था के मुददे पर चर्चा शुरू हुई तो कांग्रेस के एक दर्जन से अधिक विधायकों को संक्षिप्त में बात रखने का मौका मिला. विधायक कवासी लखमा के उदबोधन से चर्चा की शुरूआत हुई. इसके बाद विधायक अनिला भेड़िया, विधायक दलेश्वर साहू, विधायक द्वारिकाधीश यादव, विधायक राम कुमार यादव, विधायक व्यास कश्यप, विधायक मोहन मंडावी, विधायक राघवेंद्र सिंह, विधायक हर्षिता स्वामी बघेल, विधायक अटल श्रीवास्तव, विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा, विधायक उत्तरी जांगड़े, विधायक उमेश पटेल, विधायक उत्तरी जांगड़े ने अपनी बात रखी.छह महीने में 9037 अपराधनेता प्रतिपक्ष डॉ.चरणदास महंत ने विपक्ष की तरफ से चर्चा का समापन करते हुए कहा कि मैं अपनी बात नही कहूंगा. साथी विधायकों की बातों से सहमत हूं. सरकार ने जवाब दिया है कि प्रदेश में छह महीने के अंदर कुल 9037 अपराध हुए. इसमें 499 हत्या हुई, आपराधिक मानव वध 21, बलवा 372, डकैती 23, लूट 237, गृहभेदन 1885, चोरी 3939, बलात्कार 1291, छेड़छाड़ 803 मामले हुए. बाकी मैं अपने साथी विधायकों की चिंताओं से सहमत हूं. कांग्रेस विधायकों ने अपने जिले की बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चिंता जताई तथा पुलिस प्रशासन को जमकर खरी खोटी सुनाई तथा पुलिस पर कई आरोप जड़े।इस दौरान सदन में पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा सहित पुलिस के आला अधिकारी चर्चा के दौरान अधिकारी दीर्घा में मौजूद थे जो पुलिस पर लगे आरोपों को सुनते रहे.गृह मंत्री विजय शर्मा ने कांग्रेस को किया निरूत्तरकांग्रेस के आरोपों का गृह मंत्री विजय शर्मा ने सिलसिलेवार जवाब दिया। उन्होंने कांग्रेस सरकार के अपराधिक आंकड़े बताते हुए विपक्ष के आरोपों की धज्जियां उड़ा दी। कहा कि मैं कानून व्यवस्था के मामले में कोई राजनीति नही करना चाहता. यह राजनीति का विषय नही है. प्रदेश में एक भी अपराध चिंतनीय है लेकिन कांग्रेस राज में हुए अपराध के आंकड़े शर्मनाक हैं. सन 2022 में सिर्फ छह महीने में ही 11 हजार से अधिक अपराध हुए थे इसीलिए जनता ने आपको सत्ता से हटा दिया.श्री शर्मा ने दर्जनों उदाहरण देकर कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में कानून व्यवस्था इस कदर चरमरा गई थी कि जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। श्री शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की सरकार में मुझ पर एफआईआर हुई और जेल भेजा गया था।
श्री शर्मा ने कहा कि रायपुर की घटना को मोब लिंचिंग बोलकर प्रदेश को शर्मसार न करें।राजेश मूणत ने कांग्रेस को किया पानी पानीगृह मंत्री श्री शर्मा जवाब खत्म करने ही वाले थे कि विधायक राजेश मूणत की एक टिप्पणी ने कांग्रेस को पानी पानी कर दिया। श्री मूणत ने सदन में गरजते हुए कहा कि आपके राज में एक पूर्व विधायक खुद राजेश मूणत को 24 घण्टे तक थाने में बिठाकर रखा गया. मूतने तक नही दिया गया. किस व्यवस्था की बात करते हो. आपके राज में गुण्डाराज चला है. हमसे सुरक्षा गार्ड तक छीन लिए गए थे. और यहां कांग्रेस के विधायक हम पर आरोप लगा रहे हैं. श्री मूणत ने सदन में उपस्थित विधायक भूपेश बघेल की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि सीडी काण्ड के आरोपी यहां बैठे हैं. आपने पांच साल तक सीबीआई जांच को प्रतिबंधित करके रखा. मैं गृह मंत्री से मांग करता हूं कि सीडी काण्ड की जांच जारी रखी जाए. आप ही के विधायक सीबीआई से जांच की मांग करते रहे.
श्री मूणत ने गृह मंत्री विजय शर्मा से मांग की कि सीडी कांण्ड की जांच सीबीआई से कराई जाए. इस पर विधायक अजय चंद्राकर ने खड़े होकर मांग की कि कांग्रेस के एक विधायक की तथाकथित अश्लील सीडी भिलाई से जारी हुई है. विधायक ने इसकी सीबीआई जांच की मांग की है और मैं इसका समर्थन करता हूं.
चंद्राकर ने सीबीआई जांच की मांग की. इन दोनों आरोपों से कांग्रेस को मानो सांप सूंघ गया. सब शांत होकर आरोपों को सुनते रहे. किसी विधायक ने इसका विरोध नही किया.विपक्ष नही समझ सत्तापक्ष की चाल कोगृह मंत्री विजय शर्मा ने स्वीकार किया कि कांग्रेस विधायक ने मुझसे मिलकर सीबीआई जांच की मांग की थी. उसकी एक प्रक्रिया होती है. हम विचार कर रहे हैं. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने यह कहते हुए सत्र का समापन किया कि सदन में उपस्थित सदस्यों के विचारों को सुनने के बाद मैं स्थगन प्रस्ताव को प्रस्तुत करने की अनुमति नही देता. कांग्रेस ने इससे असहमत होते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया. दरअसल कांग्रेस यह सोचकर स्थगन प्रस्ताव लाई थी कि वह कानून व्यवस्था के मुददे पर सरकार को घेर लेगी.
इसके बाद सरकार के पास दो विकल्प थे. या तो वह सीधे तौर पर प्रस्ताव को खारिज कर देती या ग्राहय कर लेती लेकिन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने पहले चर्चा कराने का फैसला किया और तीन बजे का समय निर्धारित किया. इस पर कांग्रेस के बड़े नेता चिंतित दिखे क्योंकि उन्हें पार्टी द्वारा आयोजित विधानसभा घेराव में शामिल होना था. फिर भी कांग्रेस चर्चा में शामिल हुई. उसने सरकार को बिगड़ती कानून व्यवस्था पर घेरना चाहता मगर असफल रही. सत्तारूढ़ भाजपा ने पूर्ववर्ती बघेल सरकार की बिगड़ती कानून व्यवस्था की जमकर धज्जियां उड़ाईं. कुल मिलाकर कांग्रेस ने यह प्रस्ताव लाकर मुंह की खाई।