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श्रावण मास में शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने का महत्व…पुराणों के अनुसार श्रावण मास में भगवान शिवजी की पूजा में अभिषेक और बिल्वपत्र का अधिक महत्व है

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श्रावण मास में शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने का महत्व…🌿🌿

न्यूज डेस्क छत्तीसगढ़: पुराणों के अनुसार श्रावण मास में भगवान शिवजी की पूजा में अभिषेक और बिल्वपत्र का अधिक महत्व है। शिव पुराण के अनुसार भगवन शिवजी को बिल्व पत्र अति प्रिय है।

एक बिल्व पत्र भगवन शिव (शिवलिंग ) पर चढाने से कन्यादान के फल सामान एक बिल्वपत्र होता है।

श्रावण मास में भगवान शिवजी की पूजा, उपासना करने के कई स्त्रोत्र हे, परंतु सबसे प्रभावशाली स्तोत्र बिल्वाष्टकम् है।

जो श्रावण मास में शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाते समय बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, भगवान अति प्रसन्न होते है।

अभिषेक :-
शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव पर अभिषेक करने से हर मनोकामना पूरी होती है। भगवान शिवजी का प्रिय अभिषेक कई द्रव्यों से कर सकते है। जैसे की शुद्ध जल, गन्ने का रस, गाय का दूध, दही, इत्र, शक्कर मिश्रित दूध या जल, शहद, गाय का शुद्ध घी और तीर्थो का जल इन सभी द्रव्यों से आप शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति पर अभिषेक कर सकते है।

अभिषेक करते हुए भगवान का मंत्र ॐ नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जप करते रहना चाहिए।

बिल्व पत्र:-
हम भगवान शिव पर जो बिल्व पत्र चढ़ाते है उस बिल्व पत्र के वृक्ष की जड़ो में लक्ष्मीजी का वास है। इसलिए प्रति दिन बिल्व पत्र शिवजी को अर्पित करने से हमारे घर में लक्ष्मीजी का वास रहता है।

बिल्वपत्र तोड़ ने का मंत्र :-
बिल्वपत्र कब और कैसे तोडा जाये यह सब लिंग पुराण और शिव पुराण में बताया गया हे। बिल्वपत्र का महत्त्व प्राचीन रावण संहिता भी उल्लेख मिलता है।

लिंग पुराण के अनुसार बिल्वपत्र को कुछ तिथि और काल में नहीं तोड़ने चाहिए। जैसे की चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रांति काल और सोमवार को कभी नहीं ताड़े जाते है। बिल्वपत्र तोड़ ने का मंत्र निम्नलिखित है।

‘अमृतोद्भव श्री वृक्ष महादेवत्रिय सदा।
गृहणामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्।।’

भगवान शिव के प्रिय बिल्वपत्र तोड़ने से पहले यह मंत्र बोलकर ही बिल्वपत्र तोड़ने चाहिए। क्योकि बिल्वपत्र तोड़ने से पहले बिल्व वृक्ष से हमें परवानगी लेनी पड़ती है।

शिव लिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाने के नियम :-
भगवान शिव की पूजा में जो द्रव्यों, फूल, पूजा सामग्री आदि में सबसे अधिक भगवान शिव को बिल्वपत्र प्रिय है। शिवजी की पूजा में बिल्वपत्र का स्थान सर्वप्रथम माना गया है। भगवान शिव पर बिल्वपत्र चढाने से पहले इसके कुछ नियम का ध्यान रखना होता है।

भगवान शिव त्रिनेत्र धारी हे, जो सत्व, रज , तम का प्रतिक माने जाता है। तीन पत्तियों वाला बिल्वपत्र निम्नलिखित मंत्र बोलकर चढाने से जन्मो जन्म के पापो से मुक्ति मिल जाती है।

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम्
त्रिजन्मपाप संहारं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
अखण्ड बिल्व पात्रेण पूजिते नन्दिकेश्र्वरे
शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

शालिग्राम शिलामेकां विप्राणां जातु चार्पयेत्
सोमयज्ञ महापुण्यं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
दन्तिकोटि सहस्राणि वाजपेय शतानि च
कोटि कन्या महादानं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

लक्ष्म्या स्तनुत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्
बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम्
अघोरपापसंहारं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनम्
प्रयागमाधवं दृष्ट्वा एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे
अग्रतः शिवरूपाय एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

श्रावण मास में भगवान शिवजी की पूजा करते समय यह मंत्र बोलकर बिल्वपत्र शिवलिंग पर चढाने चाहिए।

बिल्वपत्र के वृक्ष में तीन पत्ते वाले ही बिल्वपत्र मिलते हे। चार पत्ते या पांच पत्ते कभी कभी ही मिल जाते है। बिल्वपत्र में तीन से ज्यादा पत्ते वाले बिल्वपत्र शिवजी पर चढाना बहोत ही शुभ माना जाता है।

दो पत्ते वाले बिल्वपत्र शिवजी पर कभी नहीं चढाने चाहिए, वह खंडित माना जाता है। कम से कम तीन पत्ते वाले बिल्वपत्र ही शिवलिंग या शिवजी की मूर्ति पर चढ़ाया जाता है। बिल्वपत्र की डंडी की गांठ को हमेशा तोड़ कर ही शिवलिंग पर चढ़या जाता है।

शास्त्रों के अनुसार कटा-फटा बिल्वपत्र कभी शिवजी की पूजा में उपयोग नहीं करना चाहिए। शिवलिंग या शिवजी की मूर्ति पर बिल्वपत्र चढ़ाने से पहले जलाभिषेक जरूर करना चाहिए। बिल्वपत्र चढ़ाते समय यह ध्यान रखे की बिल्वपत्र का चिकना भाग ही शिवलिंग पर पहले रखना चाहिए।

स्कन्द पुराण के अनुसार बिल्वपत्र को सुद्ध जल से धोकर दोबारा शिवलिंग पर चढ़ा सकते है। यह कभी भी असुद्ध नहीं होता है और नहीं बसी होता है।

अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुन: पुन:।
शंकरार्यर्पणियानि न नवानि यदि क्वाचित।।

बिल्वपत्र से शिव पूजा का फल :-
शास्त्रों के अनुसार शिवजी की पूजा श्रावण मास, शिवरात्रि, प्रदोष, ज्योर्तिर्लिंग की पूजा करने से अनंत गुना फल प्राप्त होता है। कही भी शिव पूजन में बिल्वपत्र से पूजा करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते है।

श्रावण मास में बिल्वपत्र पर चंदन से ॐ नमः शिवाय लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करे तो इसके फलस्वरूप हमारी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।

पुराणों के अनुसार शिवलिंग पर एक आक का फूल चढाने से जो फल मिलता हे, वह दस स्वर्ण मुद्रा के दान करने के समान होता है। शिवजी को एक कनेर का फूल अर्पित करने से एक हजार आक के फूल चढाने समान फल मिलता है। और एक बिल्वपत्र शिवलिंग पर चढाने से एक हजार कनेर के फूल चढाने के फल स्वरुप होता है। इसलिए हर दिन सुबह भगवान शिवजी को बिल्वपत्र चढ़ाना चाहिए।

बिल्व वृक्ष के दर्शन मात्र से आपके कई प्रकार के पापो का नाश हो जाता है। अगर आपके घर के आंगन में बिल्व वृक्ष हे तो आपका घर, आंगन तीर्थ के समान है।

श्रावण मास शिव की उपासना करने का महीना है। श्रावण मास में शिवजी की बिल्वपत्र से पूजा करने वाले हर शिव भक्तो को परमात्मा और आत्मा से समंध रखने की शक्ति प्राप्त होती है।

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