भगवान जगन्नाथ का रथ – हमारा मानव शरीर!
न्यूज डेस्क छत्तीसगढ़: जगन्नाथ का रथ लकड़ी के 206 टुकड़ों से बना होता है, जो मानव शरीर की 206 हड्डियों के समान होते हैं!
रथ के 16 पहिये = 5 ज्ञानेन्द्रियाँ, 5 कर्मेन्द्रियाँ और 6 रिपु! रथ की रस्सी मन है। बुद्धि का रथ! इस शरीर-रथ के सारथी स्वयं भगवान हैं!
भगवान इस शरीर को इच्छानुसार चलाते हैं! इंसान की इच्छा से कुछ नहीं होता, सब कुछ ईश्वर की इच्छा से होता है! मनुष्य की नहीं, ईश्वर की इच्छा पूर्ण होती है।
अल्टोराथ के बाद एक बार जब जगन्नाथ रथ से उतर जाते हैं तो दोबारा उस रथ पर नहीं चढ़ते! फिर रथ को तोड़ दिया जाता है, लकड़ियों को जलाकर खाना पकाने के काम में लाया जाता है!
उसी प्रकार, एक बार जब भगवान हमारे शरीर को छोड़ देते हैं, तो उस शरीर का कोई महत्व नहीं रह जाता है और शव को अग्नि दी जाती है।
यदि आप उस ईश्वर को पा लें जो हर चीज़ का स्रोत है, तो फिर पाने के लिए कुछ भी नहीं बचता! जगत् के नाथ श्री जगन्नाथ सबका कल्याण करें।