पत्तलों के कई फायदे…
न्यूज डेस्क छत्तीसगढ़: पत्तलों का उपयोग हमारे भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। विशेषकर धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में, पत्तलों का उपयोग भोजन परोसने के लिए किया जाता है।
पत्तलों के कई फायदे हैं, जो न केवल स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बल्कि पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं।
स्वास्थ्य संबंधी लाभ:
1. रासायनिक मुक्त: पत्तलों में किसी प्रकार का रासायनिक पदार्थ नहीं होता है, जिससे भोजन पूरी तरह से सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक रहता है।
2. हाइजीनिक: पत्तलों का एक बार उपयोग करने के बाद उन्हें फेंक दिया जाता है, जिससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
3. आयुर्वेदिक लाभ: आयुर्वेद के अनुसार, कुछ प्रकार की पत्तलों जैसे केले और साल के पत्तों में औषधीय गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र के लिए लाभकारी होते हैं।
पर्यावरण संबंधी लाभ:
1. जैविक अपघटन: पत्तलें पूरी तरह से जैविक होती हैं और आसानी से अपघटित हो जाती हैं, जिससे पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
2. प्लास्टिक का विकल्प: पत्तलों का उपयोग प्लास्टिक के विकल्प के रूप में किया जा सकता है, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
3. पुनर्चक्रण: पत्तलों का उपयोग करने के बाद उन्हें खाद के रूप में पुनर्चक्रित किया जा सकता है, जिससे मृदा की उर्वरता बढ़ती है।
आर्थिक लाभ:
1. स्थानीय उद्योग: पत्तलों का उत्पादन अक्सर स्थानीय समुदायों द्वारा किया जाता है, जिससे उन्हें रोजगार मिलता है और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
2. कम लागत: पत्तलों की लागत प्लास्टिक और अन्य आधुनिक बर्तनों से कम होती है, जिससे आयोजनों की कुल लागत कम हो जाती है।
सामाजिक और सांस्कृतिक लाभ:
1. परंपराओं का पालन: पत्तलों का उपयोग भारतीय परंपराओं और संस्कारों में विशेष महत्व रखता है, जिससे हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया जा सकता है।
2. सामुदायिक भावना: सामुदायिक भोज और आयोजनों में पत्तलों का उपयोग करने से सामुदायिक भावना और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है।
अन्य लाभ:
1. संवहनीयता: पत्तलों को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है और इनका उपयोग किसी भी स्थान पर किया जा सकता है।
2. अद्वितीय स्वाद: पत्तलों पर परोसे गए भोजन का एक अद्वितीय स्वाद होता है, जो मिट्टी और पत्तों की सुगंध से प्रभावित होता है।
पत्तलों का उपयोग हमारे स्वास्थ्य, पर्यावरण, आर्थिक स्थिति, और सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के लिए अत्यंत लाभकारी है। इनका उपयोग न केवल हमारी पुरानी परंपराओं को बनाए रखने में मदद करता है बल्कि आधुनिक समय में भी एक संवहनीय और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प प्रदान करता है।
3. सबसे पहले तो उसे धोना नहीं पड़ेगा, इसको हम सीधा मिटटी में दबा सकते है।
4. न पानी नष्ट होगा।
5. न ही कामवाली रखनी पड़ेगी, मासिक खर्च भी बचेगा।
6. न केमिकल उपयोग करने पड़ेंगे l
7. न केमिकल द्वारा शरीर को आंतरिक हानि पहुंचेगी।
8. अधिक से अधिक वृक्ष उगाये जायेंगे, जिससे कि अधिक आक्सीजन भी मिलेगी।
9. प्रदूषण भी घटेगा।
10. सबसे महत्वपूर्ण झूठे पत्तलों को एक जगह गाड़ने पर, खाद का निर्माण किया जा सकता है, एवं मिटटी की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है।
आजकल हर जगह भंडारे, विवाह शादियों , Birthday पार्टियों में डिस्पोजेबल की जगह इन पत्तलों का प्रचलन करना चाहिए
सनातन संस्कृति ही सर्वश्रेष्ठ है और सनातन ही सत्य है।