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डर और लालच से अपना कुनबा बढ़ाकर मोदी के कुशासन को बचाये रखनें का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं भाजपाई

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सुचिता और सिद्वांतो का दावा झूठा, केवल दलबदल के सहारे चुनाव लड़ रही है भाजपा

रायपुर : प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी सरकार के वादाखिलाफी और जनविरोधी नीतियों के कारण अलोकप्रिय हो चुके भाजपाई अब इस लोकसभा चुनाव में केवल दल बदल के आसरे हैं। देश के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार कोई सत्ताधारी दल दूसरे दलों के नेता, कार्यकर्ताओं को दल बदल कराने के लिए पृथक से प्रकोष्ठ बनाकर अपना कुनबा बढ़ाने की जुगत में है। कांग्रेस मुक्त भारत का जुमला देने वालों की अब हालात यह हो गई है की पूरी की पूरी पार्टी कांग्रेस युक्त होने लगी है। संघी और भाजपाई अपने ही दल के भीतर अपने आप को अल्पसंख्यक और असहज महसूस करने लगे हैं। केवल राजनीतिक नेता और कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि अब तो दागी, भ्रष्टाचारी, अपराधी और हिस्ट्रीसीटरो को भी भाजपाई अपने दल में शामिल कर रही हैं। सुचिता और सिद्धांतों का दावा करने वाली भाजपा अब स्वार्थी और दलबदलुओं के सहारे हैं।

प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि आरएसएस और भाजपा का षड्यंत्र अब उनके नेताओं के जुबान पर आने लगा है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय ने हाल ही में कहा है कि “हमारे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ‘‘खतरनाक’’आदमी हैं,“ “ऐसे खतरनाक आदमी है कि दिन में लोगों को तारे दिखा देते हैं“। शायद भाजपा के बडे़ नेता भी मानने लगे हैं कि मोदी शाह के अधिनायकवाद में संवैधानिक जांच एजेंसियों का दुरुपयोग भारतीय जनता पार्टी अपना कुनबा बढ़ाने में कर रही हैं। केंद्र में मोदी की सरकार आने के बाद से ईडी, आईटी, सीबीआई तथा भाजपा शासित राज्यों में ईओडब्ल्यू और एसीबी का दुरुपयोग सर्वविदित है।

सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि पूरे देश में भाजपा का यही चरित्र है कि जांच एजेंसीयों के माध्यम से आरोप लगाओ, जेल जाने का डर दिखाओ और फिर अपनी पार्टी में शामिल करके सारे आरोपों से मुक्त कर दो। छत्तीसगढ़ में चिंतामणि महाराज चार महीने पहले जब कांग्रेस से सामरी के विधायक थे, ईडी के तथाकथित परिवहन कोल घोटाले में आरोपी बताया, लेकिन अब वे भाजपा में जाकर सरगुजा लोकसभा से प्रत्याशी बना दिये गये, यही नही ईडी के द्वारा ईओडब्लू को एफआईआर दर्ज करने के लिये लिखे गये पत्र में दसवे क्रम में उनका नाम था लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद ईओडब्लू के दायरे से बाहर हो गये। हरियाणा में नवीन जिंदल, महाराष्ट्र में अशोक चौहान, एकनाथ शिंदे, नारायण राणे, अजीत पवार, कर्नाटक में रेड्डी बंधू और येदुरप्पा, पश्चिम बंगाल में मुकुल राय और शुभेंदु अधिकारी जैसे अनेको उदाहरण हैं। छगन भुजबल जब भाजपा के विरोधी थे, 2016 में महाराष्ट्र सदन घोटाला के आरोपी थे, भाजपा में शामिल होने के बाद ईडी ने बाकायदा न्यायालय में आवेदन देकर उनके खिलाफ मामला वापस ले लिया। इसी तरह प्रफुल्ल पटेल जब भाजपा के विरोध में थे 840 करोड़ के विमान घोटाले के आरोपी थे बीजेपी में शामिल होने के बाद सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे दिया। हेमंता बिसवा सरमा जब कांग्रेस में थे तब जल घोटाला, जमीन घोटाला, शारदा, नरदा चिटफंड के आरोपी थे, भाजपा में शामिल होकर पिछले दो बार से असम के मुख्यमंत्री हैं। छत्तीसगढ़ में भी यही सिलसिला चल रहा है। भाजपा के डर और लालच की राजनीति का जवाब जनता चुनाव में भाजपा के खिलाफ़ मतदान करके देगी।

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