रायपुर: प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि सरगुजा से भाजपा प्रत्याशी बनाए गए चिंतामणि महाराज यह बताएं कि ईडी के द्वारा तथाकथित कोल परिवहन घोटाले मे 5 लाख लेने का जो आरोप लगाया गया है वह सही है या गलत? सरगुजा में भाजपा के घोषित प्रत्याशी चिंतामणि महाराज तथाकथित भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद हाल ही में विधानसभा चुनाव के पूर्व ही भाजपा ज्वाइन किया और उसके बाद अब सरगुजा लोकसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी घोषित किए गए इसका तात्पर्य यह है कि सरगुजा संभाग में भारतीय जनता पार्टी के योग्य नेता और कार्यकर्ताओ का अभाव है या उनपर भरोसा नहीं है। भाजपा के षडयंत्रों और राजनैतिक एजेंडे को ईडी आईटी अंजान दे रही है।
प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भय और लालच देकर अपना कुनबा बढ़ाना ही भाजपा का राजनैतिक चरित्र है। विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों ईडी, आईटी, सीबीआई को आगे कर मुकदमा दर्ज किया जाता है, दबाव बनाया जाता है, जेल भेजा जाता है, लेकिन जैसे ही वह नेता भाजपा में शामिल हो जाता है तब उसके खिलाफ सारी कार्यवाहियां रोक दी जाती है। पश्चिम बंगाल के जितेंद्र तिवारी, मुकुल राय, शुवेंदु अधिकारी, महाराष्ट्र के प्रवीण डारेकर, महाराष्ट्र के अजीत पवार, नारायन राणे, एकनाथ शिंदे सहित उसके साथ के 21 दागी विधायक, अशोक चौहान, गुजरात के हार्दिक पटेल, असम में हेमंत बिसवा सरमा, बेल्लारी के रेड्डी बंधु, बीएस येदियुरप्पा, जैसे कई उदाहरण है।
दागी भ्रष्टाचारी का आरोप लगाकर अपनी पार्टी में शामिल कराके कुनबा बढ़ाने के इसी क्रम में छत्तीसगढ़ के सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में प्रत्याशी बनाए गए चिंतामणि महाराज भाजपा की वाशिंग मशीन से धुले नए नेताओं में शामिल हुए हैं।वर्मा ने कहा है कि ईडी और एसीबी की कार्यवाही से साफ हो रहा है कि यह तथाकथित कोल घोटाले का आरोप भाजपा का राजनैतिक षड़यंत्र है और भाजपा के इस राजनैतिक एजेंडे को ईडी के माध्यम से अमल किया गया। ईडी के माध्यम से विरोधियों को फंसाने का षड़यंत्र रचे गये। अपने सुविधा और राजनैतिक षड़यंत्रों के आधार पर लोगों को बदनाम करने नाम जोड़े गये, काटे गये। चिंतामणी महराज प्रदेश की जनता को बताए कि ईडी ने तथाकथित कोल स्केम में 5 लाख लेने का जो गंभीर आरोप लगाए हैं उस पर क्या स्टैंड है? भाजपाई बताये कि ईडी के पत्र में चिंतामणी महराज के खिलाफ एसीबी को एफआईआर करने को लिखा है फिर किसके दबाव में एसीबी ने चिंतामणी महराज का नाम हटाया?।