तिल्दा नेवरा : क्वांटिफिएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट के कुछ हिस्से लीक होने से ओबीसी आबादी की गणना की जानकारी बाहर आई है। इसको लेकर जितेंद्र वर्मा ताराशिव( पूर्व राज प्रधान प्रत्याशी तिल्दा राज) ने छत्तीसगढ़ सरकार से आयोग की रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की है।
राज्य की जनसंख्या में अन्य पिछडा वर्गो तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के सर्वेक्षण के संबंध में जानकारी देता है क्वांटिफिएबल डाटा।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सितंबर 2019 में क्वांटिफिएबल डाटा आयोग का गठन किया था। जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत जिला जज छविलाल पटेल ने की थी। उक्त आयोग द्वारा जो रिपोर्ट छत्तीसगढ़ सरकार को पेश की गई है, और रिपोर्ट की जो हिस्से लीक हुई है जिसमे बताया गया है की छत्तीसगढ़ प्रदेश में ओबीसी की आबादी 41 फ़ीसदी है। जबकि छत्तीसगढ़ में ओबीसी की आबादी 52 से 54 फीसदी तक होनी चाहिए। वर्मा ने आगे बताया कि जो रिपोर्ट लीक हुई है उसके आधार पर कुर्मी आबादी को छत्तीसगढ़ राज्य की पिछड़ा वर्ग की आबादी में पांचवें स्थान पर बताए जाने को अनावश्यक और वास्तविकता से कोसों दूर माना गया है। क्वांटिफिएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट के अनुसार कुछ हिस्से लीक होने से ओबीसी आबादी की गणना की जानकारी बाहर आई है इसमें अलग-अलग जातियों की जनसंख्या के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। अब तक यह माना जा रहा था कि ओबीसी में कुर्मी समाज से जुड़ी जातियों की आबादी सर्वाधिक है लेकिन आयोग द्वारा जो रिपोर्ट सामने आए हैं इसमें पांचवें नंबर पर बताया गया है।इस रिपोर्ट के खुलासे से कुर्मी समाज अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। भ्रामक आंकड़ों से समाज के लोगों में आक्रोश है और ऐसे आंकड़ों से समाज के लोगों का मनोबल तोड़ने का प्रयास है। लीक हुई इस रिपोर्ट से यह माना जा रहा है कि कुर्मी समाज किसी साजिश का शिकार हुआ है।आयोग के रिपोर्ट के कुछ हिस्से सार्वजनिक हुए हैं जिसके अनुसार राज्य में ओबीसी वर्ग की कुल आबादी सवा करोड़ बताई गई है जिसमें पहले स्थान पर साहू तेली 3005661, दूसरे स्थान पर यादव राउत 2267500, तीसरे स्थान पर ढीमर केवट 1191818 , चौथे स्थान पर मरार पटेल 898626, पांचवें स्थान पर कुर्मी चंद्रनाहु 837225 ,छठवें स्थान पर पनिका 402894, सातवें स्थान पर कलार जायसवाल 391176 बताया गया है। ऐसा लग रहा है कि यह तथ्य भ्रामक और वास्तविकता से कोसों दूर है ।श्री जितेंद्र वर्मा ने छत्तीसगढ़ सरकार से मांग की है कि आयोग की इस रिपोर्ट को तत्काल खारिज किया जाए तथा वास्तविकता पर आधारित पूरी तरह पारदर्शिता युक्त जानकारी इकट्ठा किया जाए।