वसंत पंचमी पर गायत्री महायज्ञ आयोजित, दी आहुति,गायत्री परिवार द्वारा मनाया गया बसंत पंचमी पर्व…..
हिरमी – रावन: बसंत पंचमी पर्व गायत्री परिवार हिरमी, सकलोर, मोहरा , सुहेला के परिजनों के द्वारा हर्षोल्लास के साथ स्थानीय प्रज्ञा पीठो में मनाया गया। यह पर्व ऋतु परिवर्तन के उपलक्ष्य में देवी सरस्वती की पूजा के साथ सामाजिक समारोह के रूप में पूरे देश मे मनाया गया।गायत्री प्रज्ञा पीठ हिरमी में बुधवार को अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वाधान में वसंत पंचमी के पावन अवसर पर गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया। ब्रम्हवादनी बहनों द्वारा वैदिक मंत्रों के साथ यज्ञकुण्ड में आहुतियां समर्पित कराई ।अनेक लोगों ने समाज में सुख-शांति, समृद्धि एवं उत्तम स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए यज्ञ में आहुतियां डाली। अखिल विश्व गायत्री परिवार के वरिष्ठ कार्यकर्ता प्रेम लाल सिन्हा जी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे भारत देश में बंसत उत्सव मनाने की परंपरा पौराणिक काल से ही चली आ रही है। बंसत ऋतु में सूर्य भगवान उत्तरायण में होने के कारण यह मौसम सकारात्मक भाव, उर्जा, नई उम्मीद, उत्साहपूर्वक परिवर्तन एवं मानव जीवन का आनंदित करने वाला होता है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि मैं ऋतुओं में ऋतुराज बंसत हूं। इस मौसम में किसान अपनी तैयार फसल घर लेकर आते है एवं इस समय संपूर्ण भारत वर्ष में अनेकों त्योहार व मेलों का आयोजन किया जाता है। जगदीश साहू जी ने कहा कि यज्ञ कर्म द्वारा पर्यावरण शुद्धि व अध्यात्मिक संस्कारों की प्राप्ति होती है।
उन्होंने कहा कि गायत्री महामंत्र द्वारा किया गया यज्ञ सफल होता है। अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी को बाल्यावस्था में ही बसंत पंचमी के दिन ही आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हुई थी इसलिए गायत्री परिवार के द्वारा इसे गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रज्ञा पुत्र भूवन लाल पटेल जी ने बताया पंडित श्री राम शर्मा जी द्वारा अपने अधिकांश महत्वपूर्ण कार्य जैसे गायत्री तपोभूमि मथुरा का शिलान्यास, अखंड ज्योति पत्रिका का प्रकाशन, शत कुंडीय एवं सहस्त्र कुंडीय यज्ञों का संकल्प, विविध ग्रंथो, दर्शन, स्मृति, पुराण, वांग्मय आदि की लेखनी कार्य का शुभारंभ बसंत पंचमी के पावन पुनीत दिन में ही किया एवं इसे युग निर्माण योजना के शुभारंभ का पर्व कहा इसलिये बसंत पंचमी का दिन गायत्री परिजनों के लिए विशेष महत्व रखता है । गायत्री प्रज्ञा पीठ हिरमी के पुजारी श्यामसुंदर जी ने बताया कि यहाँ यज्ञीय वातावरण के बीच निःशुल्क संस्कार – विद्यारम्भ, चूड़ाकर्म, नामकरण, अन्नप्राशन, यज्ञोपवित व दीक्षा, कर्णछेदन इत्यादि संस्कार का आयोजन निःशुल्क किया गया ।
जिसमे अनेक लोगों ने संस्कार करवाएं व उपरांत लोककल्याण, आत्मकल्याण के निमित्त यज्ञ में सामूहिक आहुतियां अर्पित की गयी। वैसे तो इस दिन में सभी प्रकार शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नही होती है क्योंकि यह दिन अपने आप मे शुभ होता है। गायत्री प्रज्ञा पीठ हिरमी में प्रमुख रूप से विद्यारम्भ संस्कार (3 से 5 वर्ष के बच्चो के लिए) एवं ज्ञान दीक्षा (8 वर्ष से 15 वर्ष के बच्चे के लिए) के लिए अनेक बच्चे उपस्थित थे जिनका पट्टिका पूजन व सरस्वती पूजन के साथ विद्यारम्भ करवाया गया एवं बच्चो से यज्ञ में आहुतियां अर्पित करवाई गई महायज्ञ में गायत्री परिवार के सदस्यों के साथ श्रद्धालुओं ने आहुतियां समर्पित किया ।