पंजीकृत कुल रकबे में से लगभग 6 लाख़ हेक्टेयर के फ़सल की नहीं हुई खरीदी,विगत वर्ष की तुलना में भी 3 लाख 29 हजार हेक्टर कम रकबे के की हुई है खरीदी
रायपुर : प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने विष्णुदेव सरकार पर किसान विरोधी षड़यंत्र रचने का आरोप लगाते हुए कहा है कि जैसे ही प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आयी, धान खरीदी को बाधित करने प्रशासनिक दबाव बनाकर तरह-तरह के व्यवधान उत्पन्न किये गए। षडयंत्र पूर्वक टोकन जारी करने और तौलाई की गति को धीमी कर दिया गया, बरदानों के लिए किसान भटकते रहे, मौसम का बहाना कर अनेको धान संग्रहण केंद्रों में कई-कई दिनों तक तौलाई बंद रखा गया। तहसीलदार, पटवारी और समिति प्रबंधकों पर दबाव डालकर जबरिया रकबा समर्पण करवा कर किसानों को धान बेचने से वंचित किया गया।
सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में खरीफ वर्ष 2023-24 के लिए समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए कुल 26 लाख 63 हजार किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है, लेकिन खरीदी मात्र 23 लाख 29 हजार किसानों से की गई, अर्थात 2 लाख 34 हजार किसान अपना धान नहीं बेच पाए। कुल पंजीकृत रकबा 32 लाख 99 हजार हेक्टेयर में से लगभग 27 लाख 91 हजार हेक्टेयर रकबे का ही धान अंतिम तिथि तक खरीदा गया, अर्थात् लगभग 6 लाख हेक्टेयर का धान अब तक उपार्जन से वंचित है। विगत खरीफ सीजन में हुई खरीदी की तुलना करें तो पिछली बार 29.6 लाख हेक्टेयर रकबा का धान खरीदा गया था जो इस बार घटकर केवल 27 लाख 92 हजार हेक्टेयर रकबा का ही धान खरीदा गया, अर्थात् पिछली बार से 3 लाख 29 हजार हेक्टेयर भूमि का कम धान खरीदा गया है। विगत वर्ष 15 क्विटंल प्रति एकड़ की दर से धान खरीदी हुई थी, इस बार आनुपातिक रूप से यदि 21 क्विटंल प्रति एकड़ की दर से खरीदी हो तो पंजीकृत रकबा 32 लाख 99 हजार हेक्टेयर पर 171 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी होना था लेकिन कुल धान खरीदी 145 लाख मिट्रिक टन के भीतर है, अर्थात् लगभग 26 हजार मिट्रिक टन कम। प्रदेश के सभी किसानों को अपना धान बेचने के लिए समुचित समय दिए जाने की मांग कांग्रेस समय-समय पर उठाती रही। विगत दिनों कांग्रेस ने मांग की थी कि 29 फरवरी 2024 तक धान खरीदी की तिथि बढ़ाई जाए, लेकिन भाजपा की विष्णुदेव सरकार में केवल चार दिन का समय बढ़ाया, उन चार दिनों की अवधि में भी एक भी किसानों को नया टोकन जारी नहीं किया गया।
वर्मा ने कहा है कि वादाखिलाफी ही भाजपा का मूल चरित्र। 2 वर्ष के बकाया बोनस के नाम पर भी किसानों को ठगा गया, वादा था 2015 -16 और 2016-17 में हुई खरीदी के बोनस का, लेकिन दिए 2014-15 और 2015-16 का ताकि कम से कम किसानों को देना पड़े, उसमें भी दिवंगत हो चुके किसानों का और बटवारा/बिक्री से नामांतरित हो चुके रकबे का बोनस अब तक बकाया है, भाजपाईयों ने छत्तीसगढ़ के 2 लाख से ज्यादा किसानों का 2 साल का बोनस हड़प लिया। हर गांव में भुगतान केंद्र खोलने का वादा जुमला साबित हो गया। 3100 रुपए प्रति क्विंटल और समर्थन मूल्य के अंतर की राशि 917 रुपया प्रति क्विटंल प्रदेश के किसानों को अब तक नहीं मिल पाया है। भाजपा के कथनी और करनी में अंतर है।