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अंतरिम बजट में किसानों को झुनझुना भी न मिला ,कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने वाली है बजट

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रायपुर: केन्द्र सरकार की ओर से छठवीं बार वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी माह की पहली तारीख को साल 2024-25 के लिए अंतरिम बजट प्रस्तुत की है। बजट प्रस्तुत करने के दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत सरकार की आमदनी में तीन गुणा वृद्धि हुई है। प्रस्तुत बजट पर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) छत्तीसगढ़ महासचिव तेजराम विद्रोही ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यदि भारत सरकार की आमदनी तीन गुणा बढ़ी है तो फिर भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का 205 लाख करोड़ रुपये कर्ज क्यों है। उन्होंने आगे कहा कि जो कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का रीढ़ है उसके लिए 1 लाख 27 हजार करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया है जबकि रेलवे क्षेत्र जिसे निजीकरण व ठेकाकरण कर अडानी के हवाले किया जा रहा है उसके लिए बजट में 2 लाख 55 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है अर्थात सरकारी पैसों से रेलवे का विकास करो और संचालन के लिए अडानी को सौंप दो। महा अमीर और कॉरपोरेट लोग जो टैक्स जमा नहीं कर पाए हैं उनके लिए भी छूट का प्रावधान किया। किसानों की बात करने वाली केन्द्र की मोदी सरकार ने किसानों को पिछली बजट में कुछ झुनझुना तो दिया था परंतु इस बजट में वह झुनझुना भी न मिला। न किसानों की आय दुगुनी हुई और न ही किसानों की फसलों को खरीद करने न्यूनतम समर्थन मूल्य की कोई कानूनी गारंटी मिली। किसान सम्मान निधि का लाभ लेने वाले किसानों की संख्या में ई केवायसी के नाम पर कटौती की गई है। जहाँ चार करोड़ किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ लिए बताया जा रहा है वहीं सोलह करोड़ किसान इस योजना से वंचित हुए हैं जो सरकार की उलब्धि नहीं बल्कि नाकामी है। राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई नाम) जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी पूर्व में देश की डिफाल्टर कंपनी नागार्जुन फर्टिलाइजर्स एन्ड केमिकल्स लिमिटेड को दी गई है जो 1500 करोड़ रुपये न चुका पाने के कारण का डिफाल्टर घोषित कर दी गई। नैनो डीएपी के नाम पर केवल इफको कंपनी को फायदा पहुंचाया जाएगा क्योंकि नैनो यूरिया का फायदा तो किसानों को मिल नहीं रही और तो और यूरिया की बोरी में वजन की काँटामारी की जा रही है 50 किलो की बोरी 45 किलो की गई और अब 40 किलो। 2047 तक विकसित भारत का मुंगेरीलाल का सपना दिखाया है जबकि वर्तमान वित्तीय घाटा 5.8% से घटकर 2025 में 5.1% होने का अनुमान दर्शाया है। जबकि महंगाई और बेरोजगारी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है।

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